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एक संकल्प - अध्यात्मिक जाग्रति की ओर राष्ट्र निर्माण के लिए आपसी भाईचारे और संगठन की आवश्यकता


 

आत्मिक जाग्रति ही समाज में परिवर्तन लाने में सक्षम

आपसी एकता, संगठन और आत्मबल का समन्वय –भारत कोमहानबनाता है

संकल्प कार्यक्रम द्वारा किया समाज निर्माण की ओर प्रेरित

 

“हमे अपने कलको सुनेहरा बनाना है! देश के परिवर्तनमें अपना योगदान देकर एक सच्चे भारतीय बन दिखलानाहै!” भारतमाँकी यह पावन भूमि संतों और महापुरुषों की जनम भूमि है जोचिरंकाल सेसम्पूर्णविश्व में धर्म और अध्यातमके ज्ञान से प्रकाशित करती आ रही है |

गुरुदेव सर्व श्री आशुतोष महाराज जीके दिशा निर्देश में संस्थान विश्व शांति के उद्देश्यको लेकर कार्यरत है| दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ब्रह्मज्ञान द्वारा श्रेष्ठ मानवों का निर्माण कर पूरे विश्व में सत्यता, भाईचारे और धर्म को स्थापित करने हेतु संलग्न है|

68वें गणतंत्र दिवस केउपलक्ष्य में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के दिव्य धाम आश्रम, नई दिल्ली में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया| हर देश की अपनी एक मुख्य पहचानहोती है औरभारतकी मुख्य पहचान है – अध्यात्म| भारत सदैव से ही जगत गुरु की उपाधि से विश्व भर में जाना जाने वाला देश है| अपनी पहचान और गौरव को पुनः स्थापित करनेहेतु भारत माँ हर भारतीय से संकल्प की मांग कर रही है| इन्हीं भावों को लेकरदेश-भक्ति व देश-प्रेम को पुन: जागृत करने हेतु - “संकल्प” कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसका लाभ हज़ारों की संख्या में उपस्थितश्रद्धालुओंने उठाया| देशभक्तिव देश प्रेम के भजनों से पूरापंडाल दिव्यआभा और देशभक्ति की तरंगोंमें झूम उठा|

गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य एवं शिष्याओं नेअपने प्रवचनों में यह संदेशदियाकि कोई भी देश उत्तम नहीं होता, उसे उत्तम बनाया जाता है| और यदि हम भारत को उत्तम पद्धति तक लेकर जाना चाहतेहैं तो हम सबको एक होना होगा| एकताही वह मार्मिक भेद हैजिसके द्वारा भारत फिरसे महान बन सकताहै| आपसी एकता, सभी शक्तियों का संगठन और आत्मबल का समन्वय – इसी से ही भारत को पुनः महान बनाया जा सकता है| एकता में ही समाज हित है|

एक बार फिर से भारत भूमि से अध्यात्मिकतरंगें उठीहैं जो बहुत जल्द विश्व के कोने-कोने को भेददेंगी|जरूरत है तो संगठितहोकर, देश की शक्ति बनकर उसे उच्चता के शिखर पर ले जाने की| “भारत फिर से उठेगा शारीरिक बल से नहीं अध्यात्मिक बल से; विनाश के ध्वज से नहीं, शांति और प्रेम से|”उठो, जागो और देखोआज भारत माँ पुकार रही ऐसे श्रेष्ठ मानवों को जो फिर से इस धरा को शांति प्रदान कर पूरे विश्व में शांति स्थापित कर सकते है!

कार्यक्रममेंउपस्थित सभी भक्त श्रद्धालुदेशभक्तिके रंग में विभोर हो आनंदित हो उठे| उपस्थित भक्तों  ने संकल्पभी लिया की वह बढ़-चढ़ कर देश के निर्माण में अपना योगदान देंगे और सम्पूर्ण विश्व मेंअध्यात्मऔर ब्रह्मज्ञान का सन्देशफैला कर “विश्व शांति” केस्वप्न को साकार करेंगे|

 

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