पूरे शरीर पर लिखवाते है राम का नाम, ये है इस समाज की अद्भुत परंपरा
भारत के छत्तीसगढ़ की रामनामी समाज में एक ऐसी परंपरा का पालन होता आ रहा है जिसे सुनकर आज भी हैरानी होती है। इस समाज के लोग अपने पूरे शरीर में रामनाम का टैटू बनवाते हैं जिस आम भाषा में गोदना कहा जाता है। इस समाज में ये परंपरा लगभग 100 सालों से भी ज्यादा लंबे वक्त से चली आ रही है, लेकिन इस समाज के लोग न मंदिर जाते हैं और न ही मूर्ति पूजा करते हैं। इसे भगवान की भक्ति के साथ ही सामाजिक बगावत के तौर पर भी देखा जाता है।
बगावत की निशानी है टैटू
कहा जाता है कि 100 साल पहले गांव में हिन्दुओं के ऊंची जाति के लोगों ने इस समाज को मंदिर में घुसने से मना कर दिया था। इसके बाद से ही इन्होंने विरोध करने के लिए चेहरे सहित पूरे शरीर में राम नाम का टैटू बनवाना शुरू कर दिया।
नई पीढ़ी ने खुद को इस परंपरा से दूर किया
रामनामी जाति के लोगों की आबादी तकरीबन एक लाख है और छत्तीसगढ़ के चार जिलों में इनकी संख्या ज्यादा है। सभी में टैटू बनवाना एक आम बात है। समय के साथ टैटू को बनवाने का चलन कुछ कम हुआ है। रामनामी जाति की नई पीढ़ी के लोगों को पढ़ाई और काम के सिलसिले में दूसरे शहरों में जाना पड़ता है। इसलिए ये नई पीढ़ी पूरे शरीर पर टैटू बनवाना पसंद नहीं करती। पूरे शरीर में न सही, वह किसी भी हिस्से में राम-राम लिखवाकर अपनी संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं।
समाज के कुछ नियम
इस समाज में पैदा हुए लोगों को शरीर के कुछ हिस्सों में टैटू बनवाना जरूरी है। खासतौर पर छाती पर और दो साल का होने से पहले। टैटू बनवाने वाले लोगों को शराब पीने की मनाही के साथ ही रोजाना राम नाम बोलना भी जरूरी है। ज्यादातर रामनामी लोगों के घरों की दीवारों पर राम-राम लिखा होता है। इस समाज के लोगों में राम-राम लिखे कपड़े पहनने का भी चलन है।
समाज की दिलचस्प बातें
नखशिख राम-राम लिखवाने वाले सारसकेला के 70 वर्षीय रामभगत ने बताया कि रामनामियों की पहचान राम-राम का गुदना गुदवाने के तरीके के मुताबिक की जाती है। शरीर के किसी भी हिस्से में राम-राम लिखवाने वाले रामनामी। माथे पर राम नाम लिखवाने वाले को शिरोमणि। और पूरे माथे पर राम नाम लिखवाने वाले को सर्वांग रामनामी और पूरे शरीर पर राम नाम लिखवाने वाले को नखशिख रामनामी कहा जाता है।