आप मनुष्य को मनुष्य बनाने का काम करते हों, मैं आपको प्रणाम करने आई हूं
उज्जैन। देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें... ऐसा गाने वाले और कर्म करने वाले लोग आज मेरे सामने बैठे हैं, मैं आपको प्रणाम करने आई हूं। सेवा बोलने के लिए अच्छा है लेकिन करने के लिए कठिन। महिलाओं के लिए तो और भी कठिन। पुरुष जब घर से निकलता है तो परिवार वाले उसे सहयोग करते है लेकिन महिलाओं को कठिनाई होती है। उस पर दोहरी जिम्मेदारी होती है। आप ऐसे सेवक हो जो अपने परिवार से बढ़कर समाजसेवा को मानते हो, आप मनुष्य को मनुष्य बनाने का काम करते हो। आपके संगम में जो भी विचार विमर्श होगा उसे हम उचित जगह पहुंचाने का काम करेंगे।
उक्त बात लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने माधव सेवा न्यास में आयोजित सेवा संगम मालवा कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर कही। कार्यक्रम का उद्घाटन महर्षि उत्तमस्वामी के सानिध्य में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने दीप प्रज्जवलित कर किया। मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख सुहासराव हीरेमठ उपस्थित थे। अध्यक्षता क्षेत्र संघ चालक अशोक सोहानी ने की। संयोजक रितेश सोनी व सह संयोजक ओम जैन के अनुसार कार्यक्रम का संचालन प्रीती तेलंग ने किया। अतिथि परिचय विवेक दुबे ने दिया। कार्यक्रम में क्षेत्र प्रचारक अरुण जैन, भैयाजी दाणी सेवा न्यास के बाबा साहब नवाथे, प्रान्त प्रचारक पराग अभ्यंकर, श्रीकांत, स्वप्नील कुलकर्णी, बाबुलाल जैन, इकबालसिंह गाँधी, तपन भौमिक, प्रदीप पांडे, मुकेश दिसावल, राजेश पाटीदार, सरिता कुन्हारे, भरतभाई, भारती ठाकुर, साधना ताई, राधेश्याम साबू, गोपाल गोयल, रवि भाटिया, सुनिता दीक्षित आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उत्तम स्वामी ने कहा कि श्वास, विश्वास, तलाश और प्रकाश जीवन की सफलता के सूत्र हैं। जिन्होंने सेवा रुपी श्वास को अपनाया उसका जीवन श्रेष्ठ है। आज सेवा करते हुए सावधानी के साथ आगे आने की जरुरत हैं। कोई भी काम करने पर संघर्ष होता है लेकिन विश्वास के साथ में कार्य करने पर ही सफलता मिल सकती है। जीवन में तलाश अच्छी हो और वह समर्पण भाव के साथ की जाये साथ ही मति में प्रकाश हो उसका जीवन श्रेष्ठ जीवन है। मन में प्रकाश रखते हुए मैत्री भाव बना रहे तो सफलता निश्चित है। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने संबोधित करते हुए कहा कि लोग बोलते तो बहुत है लेकिन काम कम करते है। हम तो ऐसे है के किसी कार्यक्रम में गए तो सुबह अख़बार देखते है कि छपा या नहीं लेकिन जो इस संगम में ऐसे लोग सामने बैठे है जिन्हें छपने की चिंता नहीं वे सिर्फ यहीं सोचते हैं कि कैसे हमें समाज के लिए काम करना है। अब मेरी जो साँस है समाज के लिए है। आपको देखकर लोग कहेंगे निकले है झोला लटकाकर लेकिन आप जानते हैं जो भी कुछ मांगना है वह मुझे 10 लोगो को बाँटना है।