भक्तों ने खेली फूलों से होली
उज्जैन। ईश्वर की कृपा से प्राप्त मनुष्य का जन्म लाभ यही है कि हम ज्ञान और भक्ति से अपने जीवन को ऐसा बना लें कि जीवन के अंत समय में भी प्रभु का ही स्मरण बना रहे। हम अंत समय में जिस वस्तु का भी ध्यान करेंगे हम अगले जन्म में उसी योनि को ही प्राप्त होंगे। श्रीमद् भगवद्गीता के आठवें अध्याय में कहा है कि अंत काल जो मेरा स्मरण करता हुआ अपनी देह का त्याग करता है वह मुझे ही प्राप्त होता है।
उक्त बात सामाजिक न्याय परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन भगवान की अनंत लीलाओं में छिपे गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को कथा प्रसंगों के माध्यम से उजागर करते हुए पदमहस्ता भारती ने व्यक्त किये। कथा के दूसरे दिन होली उत्सव मनाया जिसमें फूलों की होली खेली गई तथा अंत में निगम सभापति सोनू गेहलोत, जिला पंचायत उपाध्यक्ष भरत पोरवाल, कांग्रेस नेता विवेक यादव, पं. महेश पुजारी, मुख्य यजमान हरिसिंह यादव, श्याम जायसवाल, रवि राय, अजीत मंगलम आदि ने आरती की।
कथा के दौरान साध्वी पदमहस्ता ने कहा कि मुश्किल घड़ी में भी भक्त घबराता नहीं, धैर्य नहीं छोड़ता क्योंकि भक्त चिंता नहीं सदा चिंतन करता है और जो ईश्वर का चिंतन करता है वह स्वतः ही चिंता से मुक्त हो जाता है। आपने कहा कि जब तक हम परमात्मा को जान नहीं लेते तब तक हमें उस पर विश्वास नहीं होता और जब तक दृढ़ विश्वास नहीं होता तब तक प्रेम नहीं हो सकता। स्वामी विद्यानंद ने अपने विचारों में संस्थान के बारे में बताते हुए कहा कि संस्थान आज सामाजिक चेतना व जनजाग्रति हेतु आध्यात्मिकता का प्रचार व प्रसार कर रही है। कथा में साध्वी पदमहस्ता के साथ साध्वी अवनी भारती, श्यामला भारती, सर्वज्ञा भारती, बोध्या भारती, अर्चना भारती, संपूर्णा भारती, निधि भारती, स्वामी हितेन्द्रानंद, स्वामी मुदितानंद, गुरूभाई अनिरूध्द गुरूभाई ताना, पवन आदि उपस्थित हुए।