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‘मानव (बालको) की तस्करी एवं बंधुआ मजदूरी’ पर कार्यशाला आयोजित हुई


उज्जैन | शुक्रवार को महिला सशक्तिकरण विभाग द्वारा ‘मानव तस्करी एवं बंधुआ मजदूरी’ पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ संयुक्त संचालक एकीकृत बाल विकास सेवा उज्जैन संभाग उज्जैन श्री डी.के. सिद्धार्थ के मुख्य अतिथ्य मे दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। कार्यशाला के आरंभ में श्री साबीर अहमद सिद्धीकी जिला महिला सशक्तिरकण अधिकारी द्वारा कार्यशाला की प्रासंगिकता एवं महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि किस प्रकार से आजकल महिलाओं एवं बच्चों की तस्करी के मामले सामने आ रहे हैं।

   इसी तारतम्य में एक ज्वलंत प्रकरण का उल्लेख करते हुए एक बालक के संरक्षण हेतु जिला महिला सशक्तिरकण एवं बाल कल्याण समिति द्वारा की जा रही कार्यवाही के बारे में बताया गया एवं उपस्थित प्रतिभागियों जिनमें विशेषकर पुलिस विभाग एवं बाल देखरेख संस्थाओं के कर्मचारियों के व्यवहार में संवेदनशीलता लाने अपनाने की बात कही गयी। इसके पश्चात इंटरनेशनल जस्टिस मिशन नई दिल्ली से आई मेलिता फर्नांडिस द्वारा मानव तस्करी पर पावर प्रजेंटेशन प्रस्तुत कर मानव तश्करी के विभिन्न आयामों पर कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों के साथ संवाद स्थापित किया जाकर धारा 370 की अवधारणा स्पष्ट करते हुए मानव तस्करी के बन्धुआ मजदूरी, बाल श्रम लैंगिक शोषण आदी के रूप में महिलाओं एवं बच्चों के दुरूपयोग का  उल्लेख किया गया। विधि सह. परिवीक्षा अधिकारी श्रीमती प्रियंका त्रिपाठी द्वारा किशोर न्याय अधिनियम 2015 के संबंध में नवीन प्रावधानों एवं अधिनियम के 16 मूलभुत सिद्धांतो का उल्लेख करते हुए 18 वर्ष से कम उम्र के बालक बालिकाओं के चार आधार मूलभुत अधिकारों के बारे में समझाया गया। साथ ही देख रेख एवं संरक्षण तथा अपचारी बालको के संरक्षण एवं पुनर्वास हेतु उक्त अधिनियम के तहत गठित बाल कल्याण समिति एवं किशोर न्याय बोर्ड की कार्य प्रणाली को समझाया गया।

   जिला परिवाद समिति की अध्यक्ष श्रीमती रेखा अग्निहोत्री द्वारा लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए बच्चों के साथ किए जाने वाले लैंगिक हमले एवं लैंगिक उत्पीडन तथा उसके लिए निर्धारित दण्ड की जानकारी दी गई। सहायक श्रम आयुक्त श्री पालीवाल द्वारा बाल श्रम एवं न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के मुख्य प्रावधानो की जानकारी दी गई। संभागीय उपसंचालक महिला सशक्तिकरण उज्जैन संभाग सुश्री सुभांगी मजुमदार द्वारा दूर व्यापार एवं अन्य विपत्तिग्रस्त परिस्थितियों से बचाये गए बच्चों की पर्याप्त काउं‍सिलिंग किए जाने का आहवान किया गया, जिससे की बच्चा उसके पुराने परिवेश तथा विपत्तिग्रस्त स्थिति से ऊबरकर एक नए व्यक्तित्व का गठन किया जा सके जिससे वह समाज की नई धारा से जुड सके। 

   कार्यक्रम के अन्त में संयुक्त संचालक एकीकृत बाल विकास सेवा श्री डी.के. सिद्धार्थ द्वारा आई.सी.पी.एस. योजना के महत्व का उल्लेख करते हुए बताया गया की पहले भी बच्चों के संबंध में कानून तथा संस्थाएं कार्यरत थी किन्तु आई.सी.पी.एस. योजना के पश्चात ही सभी के द्वारा एक-दूसरे की भूमिका समझते हुए समन्वय के साथ प्रभावी ढंग से किया जा रहा है। कार्यक्रम में बाल कल्याण अधिकारी, बाल देखरेख संस्थाओं के अधीक्षक, शिक्षा विभाग, श्रम विभाग, बाल कल्याण समिति, आई.सी.पी.एस. के कर्मचारी, बाल सहायता प्रकोष्ठ, एस.जे.पी.यू. तथा चाईल्ड लाईन के कर्मचारी आदि उपस्थित थे। अन्त में प्रतिभागीयों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए।

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