top header advertisement
Home - धर्म << वंदन तो सरल है लेकिन गुणों को उतार पाना उतना ही मुश्किल

वंदन तो सरल है लेकिन गुणों को उतार पाना उतना ही मुश्किल


गुणों का वंदन सरल, अंदर उतारना कठिन
 
उज्जैन। गुरू भगवंतों के गुणों का वंदन तो हम हमेशा ही करते हैं वंदन तो सरल है लेकिन जीवन में इन गुणों को उतार पाना उतना ही मुश्किल। सच्ची भावांजलि यही है कि हम आचार्यों के बताए मार्ग पर चलें और दृढ़ता के साथ उसे अपनाएं। 

यह उद्गार श्री ऋषभदेव छगनीराम पेढ़ी में मालव भूषण आचार्य नवरत्नसागर सूरिश्वरजी के प्रथम स्वर्गारोहण दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित गुणानुवाद सभाओं में वक्ताओं ने कही। साध्वी सुर्यकांताश्रीजी
म.सा. ने अपने प्रवचन में आचार्य भगवंत से जुड़े संस्मरण बताए और कहा कि ऐसे विरले पुरूष ही होते हैं जो उच्च स्थान को प्राप्त होने के बाद भी जीवन में सरलता कायम रखें। आचार्यश्री ने पूरे जीवनकाल में अनेक तप आराधना साधना के बल पर श्रीसंघ पर ढेरों उपकार किये हैं। जिन्हें कभी नहीं भुलाया जा सकता।
पेढ़ी सचिव जयंतीलाल तेलवाल ने बताया कि गुणानुवाद सभा को डॉ. संतोष मुहणोत, गौतमचंद धींग, नरेन्द्र तरवेचा, कनकमल खाब्या, प्रकाश पावेचा, अशोक भंडारी सहित अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया। इससे पूर्व प्रकाश नाहर, मनोहरलाल जैन, रमणलाल जैन, डॉ. पारस मारू, नरेन्द्र तरसिंघ, संजय ज्वेलर्स व अन्य लोगों ने आचार्य भगवंत को भावांजलि दी। सभा का संचालन राहुल कटारिया ने किया। उल्लेखनीय है कि माघ सुदी पंचमी को ही बैंगलुरू से विहार के दौरान आचार्य नवरत्नसागर सूरिश्वरजी का देवलोकगमन हुआ था।

Leave a reply