कूपोषण ,टीकाकरण के साथ ही स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए जनसंवाद
जीवन के प्रथम 3 साल महत्वपूर्ण
उज्जैन कूपोषण,टीकाकरण के साथ ही जन स्वास्थ्य और स्वच्छता की जागरूकता के लिए भारत सरकार ,सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के क्षेत्रीय प्रचार निदेषालय की उज्जैन मीडिया युनिट ने महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से सोमवार से तीन दिवसीय खाचरोद अंचल में प्रचार अभियान चलाया । इस दौरान गीत एवं नाटक प्रभाग की मालवा नाच मण्डली के कलाकारों ने गीतसंगीत नृत्य के जरिए जागरूकता की लहर छेडी। प्रचार अभियान के दौरान जनसंवाद के जरिए सीधा ग्रामीणजनों से संवाद कर कूपोषण की घातकता के बारे में बताया गया। साथ ही गर्भवती माताओं एवं षिषुओं के टीकाकरण सम्बंधी समझाईष दी गई। यह कार्यक्रम बुरानाबाद, उमरना, उमरनी तथा बिरियाखेडी गावों में आयोजित हुए। बुरानाबाद कार्यक्रम में क्षेत्रीय प्रचार निदेषालय उज्जैन के प्रमुख डी.एस परमार ने कहा कि जीवन के प्रथम एक हजार दिन यानि 03 साल महत्वपूर्ण होते है। हमे विशेष जागरूक रहकर अपने बच्चों का ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान समुचित टीकाकरण ,स्तनपान के बाद आवष्यकता अनुसार आहार देना चाहिए। पर्यवेक्षक श्रीमति सुनीता वर्मा ने कहा कि न केवल हमारा बल्कि षिषुओ का स्वास्थ्य हमारे खानपान पर निर्भर करता है। उन्होंने बतया कि यदि आवष्यकता अनुसार या कम मा़त्रा में आहार मिलने पर कोई भी किसी भी उम्र में कूपोषण का षिकार हो सकता है। वही उमरना में आयोजित संवाद सह सांस्कृतिक कार्यक्रम में ऑगनवाडी कार्यकर्ता श्रीमति उषा पुष्पद ने कहा कि किषोरियों तथा माताओं में खून की कमी को दूर करने के लिए आईरन की गोलिया दी जाती है। श्रीमति पुष्पद ने आगे बताया कि एक स्वस्थ्य षिषु को जन्म देने की तैयारी हमें बहुत पहले से कर लेनी चाहिए । सही मायने में इसकी षुरूआत किषोवस्था से हो जानी चाहिए। क्योकि एक स्वस्थ्य मॉ ही एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दे सकती है। कार्यक्रम में आषा कार्यकर्ता श्रीमति अनिता कछावा ने बताया कि संस्थागत प्रसव तथा गर्भवति माताओं की देखरेख के चलते षिषु-मातृ मृत्युदर में भारी कमी आई है। उन्होने बताया कि हमारे गांव के षतप्रतिषत प्रसव अस्पताल मे हो रहे है। उमरनी में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्र,क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी श्री परमार ने कहा कि पोष्टिक और संतुलित आहार पोषण का आधार है, श्री परमार ने बताया कि भोजन में पॅाच रंग की खाद्य पर्दाथो को षामिल करे। श्री परमार ने बताया कि कुपोषण के कुचक्र को जड से खत्म करने के लिए सबसे पहले हमे किषोरी बालिकाओं में खून की कमी अर्थात हिमोग्लोबीन की कमी को दूर करने के साथ ही बालिकाओं को भरपूर पोषाहार की उपलब्धता निष्चित करनी होगीं । इसके अलावा बाल विवाह पर पूरी तरह अंकुष लगाने के साथ ही षिक्षा के अवसर दिए जाने चाहिए। यदि यह सब हो जाए तो कुपोषण जैसी समस्या को काफी हद तक आसानी से समाप्त किया जा सकता है। कार्याक्रम के आयोजन में सरपंच श्री माणकलाल बैरागी ,पर्यवेक्षक श्रीमति सुनीता वर्मा सहित ऑगनवाडी ,आषा कार्यकर्ताए तथा स्कूल अध्यापकों का सहयोग रहा है। जागरूकता कार्यक्रमें में बडी संख्या में ग्रामीणजनों ने भाग लिया।