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प्रभु श्री राम की दिव्य लीलाएं विनम्रता और भक्ति का सन्देश देती है – साध्वी सुमेधा भारती



प्रभु श्री राम की दिव्य लीलाएं विनम्रता और भक्ति का सन्देश देती है – साध्वी सुमेधा भारती
उत्तराखण्ड में श्री राम कथा का भव्य आयोजन किया गया
“फूलों की सुगंध केवल वायु की दिशा में फैलती है. लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई हर दिशा में फैलती है” –निस्संदेह यही सार है धर्म का | भगवान श्री राम रीती, नीती और प्रीती के अदिृ कठतीय संगम हैं | उन्हें समस्त जगत मर्यादा पुर्शोत्त्तम के नाम से जानता है| उन्होंने समाज के आगे एक आदर्श चरित्र का उदहारण रखा | दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक, सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के दिशा निर्देश में हल्द्वानी, उत्तराखण्ड में सात दिवसीय “श्री राम कथा” का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया| जिसमें श्रदालुओं ने अध्यात्म और राम राज्य स्थापना हेतु गूढ़ रहस्यों को जाना | कथाका प्रारम्भ रुद्री पाठ के मंत्रोचारण से किया गया जिससे पूर्ण वातावरण दिव्य हो उठा |
कथा व्यास, सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या, साध्वी सुमेधा भारती जी ने भगवान श्री राम के जीवन काल से वृत्तांतो को लेते हुए हमे अपने जीवन को धर्म और अध्यात्म के अनुकूल निर्वाह करने की प्रेरणा दी| भगवान श्री राम केवल दैत्य और राक्षसी शक्तियों का नाश करने के लिए ही नहीं बल्कि समाज में एक आदर्श राज्य की स्थापना हेतु इस धरा पर अवतरित हुए थे| अपने जीवन काल में आने वाली कई कठिन परिस्थितिओं का सामना करते हुए उन्होंने अयोध्या में एक आदर्श राज्य को स्थापित किया जिसकी नीवं समता, एकता, शांति और सत्यता पर आश्रित थी | 
साध्वी जी ने प्रवचनों में कहा कि भगवान श्री रामजी की सभी लीलायें हमे विनम्रता और भक्ति का पाठ सिखाती हैं| प्रभु की अनन्य कृपा को पाने के लिये विनम्रता एक अनमोल गुण है | भक्त हनुमान समर्पण और भक्ति की अभिव्यक्ति हैं| हनुमान जी का अपने प्रभु श्रीरामजी के प्रतिअनन्य प्रेम इस घटना से सपष्ट करता है कि जब एक बार उन्होंने माँ सीता को अपनी मांग मे सिन्दूर भरते देखा तो उत्सुकता पूर्वक पूछ बैठे कि वह ऐसा क्यों कर रही हैं| तब माँ सीता ने समझाया कि सिन्दूर उन की मांग में देखकर प्रभु श्री राम प्रसन्न हो जाएगे | ऐसा सुनते ही हनुमान जी ने प्रभु श्री राम को प्रसन्न करने के लिए अपने पूरे शरीर पर सिन्दूर लगा लिया | ऐसा करके उन्होंने एक और अध्यात्मिक रहस्य को उजागर किया कि परम आनंद को प्राप्त करने के लिये स्वयं को पूर्ण रूप से गुरु के रंग में रंगना पड़ता है | 
साध्वी जी ने कथा में समझाया कि हमे अपने कल्याण के लिये प्रभु श्री राम जी द्वारा दी गई शिक्षायों को अपने जीवनमें उतारना होगा | सनातन धर्म के अनुसार परमात्मा का साक्षात्कार ब्रह्मज्ञानदृारा ही किया जा सकता है और यही सभी धर्मों का आधार भी है | सर्व श्री आशुतोष महाराज जी भी इसी सनातन ब्रह्म ज्ञान की दीक्षा प्रदान कर समाज में क्रांति ला रहे है|
कथा में भक्ति और प्रभु प्रेम से सुसज्जित भजनों से सम्पूर्ण वातावरण को अलौकिक किया | उपस्थित माननीयअतिथियों ने कार्यक्रम की सरहाना करते हुये संस्थान दृारा चलायी जा  रही गतिविधियों में बढ़-चढ़कर योगदान देने का आश्वासन भी दिया| 

 

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