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ढाई फीट आंते कटी, पेट में तीन लीटर जहर, डॉक्टर ने दी नई जिंदगी


उज्जैन। शहर के एक चिकित्सक ने दो ऐसे लोगों की जिंदगी बचाई जिनकी जान बचा पाने की उम्मीद उनके परिजन खो बैठे थे और डॉक्टरों ने भी शहर में इलाज नहीं हो पाने का कहकर इंदौर रैफर कर दिया था। लेकिन उज्जैन में ही इलाज कराकर उन दोनों को नई जिंदगी मिली बल्कि वे दोनों अब पहले जैसी
जिंदगी जी पा रहे हैं।

सुनील उम्र 19 वर्ष निवासी बरोल सारंगपुर ट्रेक्टर पलटी खाने से उसके नीचे दबने से गंभीर रूप से घायल हो गया था। जिसे सारंगपुर के सरकारी अस्पताल में दिखाया तब वहां उसका प्राथमिक उपचार कर इंदौर रैफर किया गया और कहा कि सुनील की जान बचने की उम्मीद बहुत कम है। मरीज के परिजन उसे
उज्जैन में डॉ. उमेश जेठवानी के पास गुरूनानक अस्पताल में लेकर लाए। तब मरीज का बीपी 60/40 था। डॉ. जेठवानी ने रात 2 बजे ही सुनील का ऑपरेशन किया। मरीज का साढ़े 3 लीटर खून बह गया था, तिल्ली तथा ढाई फीट आंते कट गई थीं। मरीज की आंतों को रिपेयर किया गया। तिल्ली को निकाला गया तथा 8 यूनिट ब्लड चढ़ाया गया। अंततः सुनील की जान बच गई और अब वह पूरी तरह स्वस्थ है और घर जाकर फिर वही जिंदगी जी सकेगा। इसी प्रकार 45 वर्षीय उपरीगांव देवास निवासी हरिसिंह पेट दर्द से पीड़ित था। काफी इलाज के बाद भी उसकी हालत में कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। हालत बिगड़ने पर उसे मेडिकल कॉलेज रैफर किया गया जहां से इंदौर रैफर किया गया। मरीज के परिजनों ने उसे डॉ. जेठवानी को दिखाया। मरीज का बीपी 70/40 रह गया था और शरीर में संक्रमण फैल गया था। मरीज को तुरंत ऑपरेशन कर उसके खाने की थैली को ग्राहमपेच तकनीक से रिपेयर किया गया तथा पेट से 3 लीटर जहर निकाला गया। मरीज की हालत खराब होने से उसे 5 दिन तक आईसीयू में रखा गया हालांकि अब वह पूरी तरह स्वस्थ है।

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