दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले2017 में भाग लेकर जिज्ञासुओं को किया अध्यात्म की ओर आकर्षित
संस्थान की विशेष प्रस्तुति “समाधि” पुस्तक बनी आकर्षण का केंद्र
अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की आध्यात्मिक साहित्य सहित विशेष प्रस्तुति
धर्म संबंधी साहित्य समाज में बढ़ती कुरूपता को कम करने में सक्षम
डीजेजेएस का साहित्य कर रहा आगुंतकों को जागरूक
पुस्तकें ये प्रमाणित करती हैं कि किस प्रकार मानव तनाव भरी ज़िन्दगी में सफलता पूर्वक तरीके से काम कर सकता है। साहित्य की अपनी ही दुनिया है जोशब्दों, अर्थ से भरा, विचारों, दिशाओं, दृष्टिकोण व धारणाओं को दर्शाती है। जिस तरह से व्यायाम हमारे शरीर के लिए लाभकारी है, ठीक वैसे ही पुस्तकें पढ़ना हमारे मस्तिष्क के लिए लाभदायक है।
स्कोट ने कहा है साहित्य खुद में ही इतना खूबसूरत है जिसमें आप खुद को व्यस्त करके दूसरों के प्रति अपनी तृष्णा व अपना अकेलापन सब भूल जाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेला नई दिल्ली, 7 से 15 जनवरी तक प्रगति मैदान में आयोजित किया जा रहा है! यह एक स्पष्ट प्रमाण है कि पुस्तकें हमारे जीवन में कितना महत्व रखती हैं। विश्व के कोने-कोने से आए सभी लोगों के लिए आध्यात्मिक साहित्य आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। इसमें कोई संदेह नहीं कि कोई व्यक्ति किसी भी देश का हो, भारत में आकर वे आध्यात्मिकता के प्रभाव को नकार नहीं सकता जोकि हमारी संस्कृति, विश्वास, मूल्यों की गहरी नींव है।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान एक आध्यात्मिक संस्था है जोसमाजको जागरूक व अध्यात्मसे जोड़ने के लिए कार्यरत है! जिसके संस्थापक व संचालक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी है, जिनके मार्गदर्शन में संस्थान विश्व भर में अनेकों कार्यक्रमोंद्वारा समाज में आत्मिक क्रांति ला रहा है, जिससे लोग आन्तरिक दिव्यता से जुड़ कर आनंद का अनुभव करतेहै! समाज कल्याण हेतु संस्थान द्वारा विश्व पुस्तक मेले में आध्यात्मिक साहित्य का स्टाल लगाया गया है! हाल नं. 12A,स्टाल नं. 79,80ने सफलतापूर्वक आगुंतकों, प्रदर्शकों, संपादकों, लेखकों, साहित्य प्रेमियों व जिज्ञासुओं का ध्यान आकर्षित किया।
बहुत-सी पुस्तकें जैसे सत्य की खोज, समाधि, महायोगी का महारहस्य, क्या ईश्वर दिखाई देता है, Mind, व मासिक पत्रिका अखण्ड ज्ञानआदि सभी पुस्तके आकर्षण का केंद्र बनी! दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की उपस्थिति को काफी लोगों ने सराहा व उनमें आध्यात्मिकता की भावना को जागरूक किया।
श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य एवं शिष्याओं ने आए हुए जिज्ञासुओं को संस्थान द्वारा चल रहे सामाजिक प्रकल्पों व संस्थान समाज में मानवता की भलाई के लिए कहाँ-कहाँ कार्यरत है और क्या-क्या कार्य कर रही है, इसका भी वर्णन किया!