मुलायम सिंह ने बदला सुर, कहा- पुत्र अखिलेश ही होंगे सीएम
यूपी में समाजवादी झगड़ा जारी है हालांकि मुलायम ने अखिलेश को सीएम का उम्मीदवार बताकर कुछ नरम पड़े हैं लेकिन साइकिल चुनाव चिन्ह का सस्पेंस बरकरार है. आज सुबह मुलायम और अखिलेश के बीच बातचीत हो सकती है.
चुनाव आयोग ने भेजा दोनों गुटों को दस्तावेज
इसी बीच चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी के दोनों खेमे को एक दूसरे के दस्तावेज़ भेजे हैं. मुलायम यादव खेमे को अखिलेश यादव खेमे का दस्तावेज़ और हलफ़नामा भेजा गया है और अखिलेश खेमे को मुलायम सिंह यादव खेमे के दस्तावेज़ भेजे गए हैं. दोनों खेमे को एक दूसरे के दस्तावेज़ों और दावों पर जवाब देने को कहा गया है.
समाजवादी पार्टी में पिछले कई दिनों से जारी घमासान के बीच कल मुलायम सिंह यादव ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि ‘यूपी चुनाव के बाद अखिलेश सूबे की सीएम होंगे. पार्टी टूटने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ‘पार्टी के टूटने का सवाल ही नहीं है, हम सब एक हैं और हम जल्द ही चुनावी अभियान की शुरुआत करेंगे.’
कल अखिलेश गुट पहुंचा था चुनाव आयोग
आपको बता दें कि अखिलेश और मुलायम गुट चुनाव चिह्न के लिए अपनी दावेदारी पेश करने के लिए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटा चुके हैं. इसी संदर्भ में शनिवार को अखिलेश गुट की तरफ से रामगोपाल यादव ने अखिलेश के समर्थन की दावेदारी पेश करते हुए हलफनामा दायर किया था. उन्होंने दावा किया था कि ज्यादातर लोग अखिलेश के समर्थन में हैं. पार्टी के नाम और चिह्न पर दावे के लिए उन्होंने चुनाव आयोग को 1.5 लाख पन्नों के दस्तावेज 7 गत्तों में सौंपे थे.
इससे पहले चुनाव आयोग ने अखिलेश और मुलायम गुट को पार्टी के नाम और चिह्न पर दावेदारी संबंधित सबूतों को जमा करने के लिए 9 जनवरी तक का समय दिया था.
अगर चुनाव आयोग 17 जनवरी तक किसी अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंच पाता है तो ऐसी स्थिति में साइकल चुनाव चिह्न को फ्रीज हो सकता है. इसके बाद अखिलेश और मुलायम खेमों को अलग-अलग चिह्न आवंटित किए जाएंगे और वे फिर इनपर चुनाव लड़ सकेंगे.
सोमवार को अखिलेश यादव गुट ने जहां पार्टी के चुनाव चिन्ह पर जल्द निर्णय की मांग की वहीं मुलायम सिंह यादव ने इस बात पर जोर दिया है कि वह अभी भी पार्टी के अध्यक्ष हैं और उनके अपने बेटे के साथ कोई मतभेद नहीं हैं.
रामगोपाल के लिए राज्यसभा के सभापति को चिट्ठी
साथ ही, मुलायम ने राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी से आग्रह किया है कि उनके चचेरे भाई रामगोपाल यादव को 30 दिसम्बर को पार्टी से निकाले जाने के मद्देनजर उनको राज्यसभा में पार्टी नेता पद से हटा दिया जाए. वहीं रामगोपाल भी सोमवार को चुनाव आयोग पहुंचकर आग्रह किया कि वह पार्टी के विवादास्पद चिह्न साइकिल पर जल्द निर्णय करे क्योंकि यूपी चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 17 जनवरी से शुरू हो जाएगी.