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राष्ट्रपति ने किया अध्यादेश लागू, पुराने नोटों की वैधता हुई समाप्तए पुराने नोट रखना होगा अपराध !


राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सरकार की ओर से 28 दिसंबर को लाए गए स्पेसिफाइड बैंक नोट अध्यादेश को शुक्रवार को मंजूरी दे दी। अब 500 और हजार के पुराने नोट रिजर्व बैंक में जमा कराते वक्त वाजिब कारण बताना अनिवार्य होगा। ऐसा नहीं होने पर जुर्माना लगेगा। साथ ही पुराने नोट रखना और आदान-प्रदान करना गैरकानूनी होगा।

यह अध्यादेश सरकार की ओर से नोटबंदी के बाद उठाया गया एक कदम है, ताकि कालाधन रखने वाले किसी भी तरह से पुराने नोट आरबीआई या उसके द्वारा अधिकृत एजेंसी में नहीं जमा करा सकें। अध्यादेश की धारा-4 के तहत 50 हजार या फिर जमा की जाने वाली रकम का पांच गुना जुर्माना लगाने का प्रावधान है। आरबीआई जुर्माने की वह राशि तय करेगा, जो अधिक होगी यानी कि 10 हजार रुपये जमा करने वाला अगर झूठा पाया गया तो उस पर 50 हजार का जुर्माना लगेगा। लेकिन एक लाख रुपये जमा करने की स्थिति में 50 हजार से पांच लाख रुपये तक जुर्माना वसूला जा सकता है। अध्यादेश की धारा-5 के तहत असली वजह छुपाने वालों पर 10 हजार या जमा की जा रही राशि का पांच गुना जुर्माना लगेगा। जिन भारतीय नागरिकों के पास 8 नवंबर से अब तक विदेश में रहने का पुख्ता सबूत होगा और उनके बैंक में पुराने नोट नहीं जमा करने का यह कारण होगा तो उन पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा।

इसी तरह की अन्य परिस्थितियों में आरबीआई या उसकी ओर से अधिकृत एजेंसी कोई जुर्माना नहीं वसूलेगी। पुराने नोट 30 दिसंबर के बाद जमा करने वालों को यह कारण साक्ष्य के साथ स्पष्ट करना होगा कि वे अब तक नोट क्यों नहीं जमा कर सके। जैसे विदेश से लौटने की स्थिति में पासपोर्ट पर वैध वीजा के साथ मुहर भी दिखानी होगी, जबकि बीमारी या अन्य किसी कारण का तथ्य देना होगा।

इसके अलावा पढ़ाई के दौरान शोध के मकसद से पुराने नोट रखने वालों को भी छूट होगी। ऐसे लोग अधिकतम 25 नोट रख सकते हैं, लेकिन उन्हें भी अपने शोध का पूरा सबूत देना होगा। 31 मार्च 2017 के बाद एक समय में 10 से ज्यादा पुराने नोट रखने पर पाबंदी रहेगी, फिर चाहे ये नोट 500 के हों या 1000 के या फिर दोनों।

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