जयललिता की करीबी शशिकला को बनाया गया ‘अन्नाद्रमुक’ का महासचिव
अन्नाद्रमुक पार्टी की जनरल काउंसिल ने शशिकला को पार्टी नेतृत्व सौंपने संबंधी प्रस्ताव पारित कर दिया है. सरल शब्दों में इसका अर्थ है अन्नाद्रमुक अब शशिकला के नेतृत्व में काम करेगी.
शशिकला तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक प्रमुख दिवंगत जयललिता की नज़दीकी सहयोगी रही हैं. तमिलनाडु की राजनीति में शशिकला के परिवार को 'मन्नारगुडी खानदान' के नाम से भी जाना जाता है.
तमिलनाडु के तिरुवरुर ज़िले में मन्नारगुडी वो जगह है जहां शशिकला के परिवार की जड़ें हैं.
जयललिता से शशिकला की नज़दीकियों का सिलसिला उनके पति एम नटराजन की वजह से शुरू हुआ था.
चेन्नई के पोएस गार्डन में शशिकला के आने-जाने का सिलसिला बढ़ने के साथ ही उनके परिवार के दूसरे सदस्यों के लिए भी जयललिता के घर के दरवाज़े खुल गए.
हालांकि पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए यह बात निराश करने वाली थी कि छह दिसंबर को जयललिता के पार्थिव शरीर के पास शशिकला के वे रिश्तेदार भी खड़े थे जिन्हें जयललिता ने पार्टी से बाहर का दरवाज़ा दिखा दिया था.
नटराजन वही व्यक्ति हैं जिन्होंने मई, 2014 में टीवी पर दिए एक इंटरव्यू में दावा किया था कि साल 1991 में जयललिता के सत्ता में आने पर भरोसेमंद नौकरशाहों के मसले पर उन्होंने जयललिता को सलाह दी थी.
इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी दावा किया था कि एमजी. रामचंद्रन के निधन के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए जयललिता का नाम जिस कमेटी की मीटिंग में आगे बढ़ाया गया था, वे उसका भी हिस्सा थे.
जयललिता की अंत्येष्टि के फ़ौरन बाद नटराजन ने एक टीवी चैनल से कहा था, "एक साधारण आदमी भी पार्टी को आगे ले जा सकता है. पार्टी में शून्य जैसी कोई स्थिति नहीं है. जब तक एमजी रामचंद्रन और अम्मा की लोकप्रियता बनी रहेगी, अन्नाद्रमुक का वजूद बना रहेगा."
नटराजन के कारोबारी हितों के बारे में ज्यादा जानकारी सार्वजनिक नहीं है.
उनके बारे में सिर्फ़ इतना मालूम है कि वे उत्तर प्रदेश में शिक्षण संस्थान चलाते हैं. बसपा के संस्थापक कांशीराम जब भी चेन्नई आते थे तो नटराजन के पास ही ठहरते थे.
सरकारी कामकाज में कई साल तक दखल रखने वाले नटराजन को जयललिता ने चले जाने का हुक्म दिया था.
इल्लावारासी के पति जयललिता के हैदराबाद वाले फ़ार्म हाउस की देखभाल करते थे.
एक हादसे में उनकी मौत हो गई और इसके बाद इल्लावारासी को जयललिता के करीब आने का मौका मिला.
इल्लावारासी अन्नाद्रमुक के टेलीविजन चैनल जया टीवी की जिम्मेदारी संभालती हैं.
अपने बेटे विवेक के साथ इल्लावारासी भी जयललिता के पोएस गार्डन में ही रहती थीं.
इसके बाद दिसंबर 2011 में उन्होंने शशिकला और दूसरे रिश्तेदारों से भी दूरी बना ली थी.
हालांकि कुछ महीनों के बाद शशिकला अपने परिवार को छोड़कर जयललिता के पास लौट गई थीं.
आमदनी के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने के मामले में जयललिता और शशिकला के बाद इल्लावारासी अभियुक्त नंबर तीन थीं. लेकिन सभी की नज़रें विवेक पर हैं क्योंकि उनके बारे में कहा जाता है कि जयललिता उनसे बेहद लगाव रखती थीं. विवेक जैज सिनेमा का कारोबार देखते हैं.
वे शशिकाला के भाइयों में से एक हैं. दिवाकरन कावेरी डेल्टा के इलाके में एक एजुकेशनल इंस्टिट्यूट चलाते हैं.
उनके बारे में कहा जाता है कि वे परिवार के सबसे असरदार लोगों में से एक हैं. लोग उन्हें 'समीकरण साधने' में माहिर मानते हैं. जयललिता के भरोसमंद लोगों में उनका नाम शुमार हो रहा था.
अन्नाद्रमुक कार्यकर्ता शशिकला के भतीजों की भूमिका को अहम मान रहे हैं.
अपने कई कारोबारों के अलावा वो आने वाले दिनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
शशिकला के जिन भतीजों की चर्चा होती है उनमें से एक डॉक्टर वेंकटेश हैं, जो एक समय में अन्नाद्रमुक की युवा शाखा के प्रमुख थे.
लेकिन साल 2011 में उन्हें भी पोएस गार्डन से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. डॉ वेंकटेश शशिकला के भाई सुंदरवंदनम के बेटे हैं.
टीवी माधवन और टीटीवी भास्करन काफ़ी लोकप्रिय हैं लेकिन उनके अलग-थलग पड़ने की संभावना है. जयललिता की अंत्येष्टि में भी वो शामिल नहीं हुए थे.
शशिकला के भतीजे वीएन सुधाकरन जयललिता के काफ़ी करीब रहे लेकिन बाद में जयललिता और उनके बीच दूरियां भी आईं. सुधाकरन को जयललिता ने अपना दत्तक पुत्र माना और फिर उनसे दूरी बना ली.
जयललिता की आय से अधिक संपत्ति मामले में वो अभियुक्त नंबर चार हैं.
शशिकला के भतीजे टीटीवी दिनाकरन पार्टी सांसद रह चुके हैं.
दिनाकरन ने तमिलनाडु के मौजूदा मुख्यमंत्री ओ पनीरसेलवम को पहली बार विधानसभा चुनाव जीतने में मदद की थी.