केवल गीता पाठ करने से हम उसे सुगीता नहीं बना सकते
पांच दिवसीय गीता जयंती महोत्सव के समापन अवसर पर बोले वल्लभरायजी महाराज
उज्जैन। केवल गीता का पाठ करने, शब्दों के उच्चारण से हम उसे सुगीता नहीं बना सकते। हमें उसका तात्पर्य समझकर उसके अनुसार आचरण करना होगा।
उक्त विचार पंचदिवसीय गीता जयंती महोत्सव के समापन अवसर पर श्रीवल्लभाचार्य महाप्रभु संप्रदाय के षष्ठपीठाधीश्वर वल्लभरायजी महाराज ने मानस भवन क्षीरसागर प्रशाल में कहे। महाराजश्री के जन्मोत्सव प्रसंग से जुड़े महोत्सव में उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का वचन है कि योग, सांख्य, कर्म, धर्म, तप, व्रत, यज्ञ आदि मार्ग मुझ तक नहीं पहुंचा सकते। मुझे मेरी भक्त की शरणागति एवं अनंत भक्तिभाव ही प्राप्त कर सकता है। कार्यक्रम के आरंभ में डॉ. दिनेश जोशी, राधेश्याम पाटीदार, जुगलकिशोर धामानी, जीवनलाल दिसावल, राजेन्द्र नागर, प्रदीप वेद, नारायण उपाध्याय, मंगल भट्ट आदि ने महाराजश्री का पुष्पमाला पहनाकर अभिनंदन किया। समापन पर रामगोपाल मंत्री, देवीदास वैद्य, जीवनलाल दिसावल, दिनेश जोशी ने महाराजश्री का शाल पहनाकर, पुष्पमाला से अभिनंदन किया। संचालन रमेश दीक्षित ने किया एवं आभार राधेश्याम पाटीदार ने माना।