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जल्द आएंगे प्लास्टिक या पॉलिमर के नोट, 5 शहरों में हो सकता है फील्ड ट्रायल


नई दिल्ली. सरकार अब जल्द ही प्लास्टिक के नोट भी लाने की तैयारी कर रही है। शुक्रवार को संसद में वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने जानकारी दी कि इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। मेघवाल ने कहा कि प्लास्टिक या पॉलिमर आधारित नोट छापने का फैसला लिया गया है और इसके लिए मैटीरियल भी खरीदा जा रहा है। उन्होंने कहा, "रिजर्व बैंक लंबे समय से फील्ड ट्रायल के बाद प्लास्टिक करंसी लॉन्च करने की योजना बना रहा है।" प्लास्टिक करंसी की नकल मुश्किल...

- सरकार ने ये भी बताया कि प्लास्टिक के नोटों की उम्र 5 साल होती है और इनकी नकल करना मुश्किल होता है।

- मेघवाल ने बताया, "प्लास्टिक या पॉलीमर सब्सट्रेट से प्लास्टिक करंसी प्रिंट करने का फैसला हुआ है। इसकी प्रोसेस शुरू हो गई है।"

- 2014 में सरकार ने संसद को बताया गया था"फील्ड ट्रायल के लिए शहरों का चयन क्लाइमेट और जिओग्राफिकल कंडीशन को देखते हुए किया गया है।"

- सरकार ने कहा कि कोच्चि, मैसूर, जयपुर, शिमला और भुवनेश्वर का चयन फील्ड ट्रायल के लिए किया गया है।

बिना सिक्युरिटी थ्रेड के मिले थे 1000 के नोट

- एक सवाल के जवाब में अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, "दिसंबर 2015 में 1000 रुपए के नोट बिना सिक्युरिटी थ्रेड के मिले थे।"

- ये नोट करंसी नोट प्रेस नासिक में छापे गए थे और पेपर सिक्युरिटी पेपर मिल होशंगाबाद से सप्लाई किए गए थे।

- सरकार ने कहा,"इस मामले में एक जांच शुरू की गई है। संबंधित लोगों पर जुर्माना भी लगाया गया है।"

- "विभाग के नियमों के हिसाब से अनुशासनात्मक कार्यवाही के कदम उठाए गए हैं।"

- मेघवाल ने कहा, "ऑनलाइन इंस्पेक्शन सिस्टम और क्वालिटी के संबंध में जरूरी कदम भी उठाए गए हैं। इसके अलावा स्पेशल ट्रेनिंग भी दी गई है ताकि इस तरह की गलतियां भविष्य में ना हों।"

 

30 देशों में चलते हैं प्लास्टिक के नोट

- दुनियाभर के 30 देशों में प्लास्टिक करंसी सर्कुलेशन है।

- इन देशों में ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया और कनाडा भी शामिल हैं।

- ऑस्ट्रेलिया में जाली नोटों की मुश्किल से निपटने के लिए प्लास्टिक करंसी सर्कुलेशन में लाई गई थी।

 

प्लास्टिक के नोटों पर कम चिपकता है बैक्टीरिया

- हार्पर एडम्स युनिवर्सिटी के प्रोफेसर फ्रैंक व्रिस्कूप नोटों और इंसानों के हाथों के बैक्टीरिया पर रिसर्च कर रहे हैं।

- प्रो. व्रिस्कूप ने मीडिया को अपनी रिसर्च के बारे में बताया, "इंसानों के हाथों में पाया जाने वाला बैक्टीरिया प्लास्टिक के नोटों पर उतना नहीं चिपक पाता है, जितना वो अमेरिकन डॉलर, ब्रिटिश पॉन्ड और जापान के येन नोटों पर चिपकता है।"

- लिलेन-कॉटन बेस्ड डॉलर नोटों का इस्तेमाल अमेरिका में होता है और वाशी बेस्ड नोट येन केवल जापान में छापे जाते हैं।

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