नोटबंदी पर मोदी बोले- 70 साल से जिस बीमारी को झेल रहे, उससे मुक्ति का अभियान सरल नहीं हो सकता, भ्रमित न हों
नई दिल्ली. इस महीने की शुरुआत में नोटबंदी के बाद पहली बार नरेंद्र मोदी मन की बात कर रहे हैं। मोदी ने कहा, ''नोटबंदी पर तकलीफ होगी मैंने पहले ही कहा था लेकिन 70 साल की बीमारी का इलाज इतना आसान नहीं हो सकता।'' इससे पहले मोदी ने ट्वीट किया, ''मेरा मोबाइल, मेरा बैंक, मेरा बटुआ। अब वक्त आ गया है जब लोगों को ई-बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग शुरू करनी चाहिए।'' यह 26वीं बार है जब पीएम मन की बात की। इससे पहले उन्होंने 30 अक्टूबर को मन की बात की थी। नोटबंदी पर क्या बोले मोदी?
- पीएम ने कहा,''8 नवंबर को मैंने नोटबंदी का एलान किया था। तब मैंने कहा था कि इस सामान्य नहीं है, कठिनाइयों से भरा है।''
- ''इसे लागू करना भी बड़ा है। इसे नार्मल करते-करते 50 दिन तो लग ही जाएंगे।''
- ''लेकिन आप लोगों को भ्रमित करने के कई प्रयास चल रहे हैं। फिर भी आपने भलि-भांति इसे स्वीकार किया है।''
- ''पूरा विश्व इसे बड़े कदम के रूप में देख रहा है। पूछ रहे हैं कि क्या हिन्दुस्तान के सवा सौ करोड़ देशवासी इसे सपोर्ट करेंगे।''
''जनता एक दूसरे की हेल्प कर रही है''
- मोदी ने कहा- ''खंडवा में एक बुजुर्ग का एक्सीडेंट हो गया। पता चला तो बैंक मैनेजर ने खुद घर जाकर उन्हें रुपए दिए।''
- ''मुझे याद है कि जब जनधन खाते खोलने का अभियान चल रहा था। तब भी बैंक कर्मचारियों ने इसे कंधों पर उठाया।''
- ''कुछ लोग अब भी कालाधन खपाने के लिए गैरकानूनी तरीके अपना रहे हैं। गरीबों के जनधन खातों का इस्तेमाल कर रहे हैं।''
- गुजरात में एक शादी सिर्फ चाय पर चर्चा के साथ हुई। सूरत के इस कपल को बधाई। उनका ये कदम भ्रष्टाचार और फिजूल खर्ची के खिलाफ कड़ा कदम है।
- असम में टी गार्डन की चार महिलाओं ने एक साथ जाकर खरीदारी की। उन्हें खुले पैसे की जरूरत नहीं पड़ी।
बेनामी संपत्ति पर कठोर कानून, गरीबों को मोहरा मत बनाइए
- पीएम ने कहा, ''सुधरना आपके हाथ में है। लेकिन बेचारे गरीबों को मोहरा मत बनाइए।''
- ''बेनामी प्रॉपर्टी का कठोर कानून बना है। हम इसे भी लागू करने वाले हैं।''
लोगों ने क्या कहा?
- आशीष पारिख मध्यप्रदेश ने फोन कर कहा, मैं आपके फैसले के साथ हूं।''
- कर्नाटक के एक शख्स ने कहा, ''किसी नहीं सोचा था कि ऐसा फैसला होगा। आपके फैसले से भ्रष्टाचारियों के अच्छे दिन कभी नहीं आएंगे।''
मोदी ने और क्या कहा
- यह दिवाली सेना को समर्पित थी, वो भावनाओं से भरे थे। देशवासियों ने शुभकामना संदेश भेजे। लोग सेना के साथ मन से जुड़े।
- सेना के प्रति लोगों की भावनाओं कोे एक बुक के रूप में लाने की कोशिश जारी है।
- हमारे सैनिक हर दिन देश के लिए जान दाव पर लगाते हैं। मेरी अपील है कि कोई भी त्यौहार हो तो सैनिकों को किसी न किसी रूप में जरूर याद करें।
- इससे उनकी ताकत 125 गुना बढ़ जाएगी।
- मुझ से जम्मू-कश्मीर के करीब 150 गांव के प्रधान मिलने आए थे। कश्मीर में आतंकवाद और स्कूल जलाने पर बात हुई।
- उनको भी दुख था कि स्कूल नहीं देश का भविष्य जलाया गया है। कुछ दिन पहले बोर्ड एग्जाम में 95 फीसदी स्टूडेंट्स शामिल हुए।
- ये दिखाता है कि कश्मीर के हमारे बच्चे शिक्षा के जरिए भविष्य बनाने के लिए संकल्पित हैं।