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बैंकों के बाहर लगने वाली लाइन अब होंने लगी छोटी



संदीप कुलश्रेष्ठ
 

               प्रधानमंत्री श्री नरेंन्द्र मोदी द्वारा 8 नवंबर 2016 की मध्यरात्रि से यह ऐलान किया गया था कि अब 500 और 1000 के नोट नहीं चलेंगे। इसके बाद इस संबंध में वित मंत्रालय द्वारा अनेक नियम और निर्देष जारी किए गए। इन नियम और निर्देषों से आम जन कुछ परेषान भी हुए हैं, किंतु उन्होंने धैर्य रखा। वहीं कुछ लोगों ने अपनी ब्लैक मनी को व्हाइट करने के लिए नए-नए तरीके इजात करने शुरू कर दिए। इसी कारण रिर्जव बैंक को अनेक बार नियमों में परिवर्तन भी करना पड़ा। किंतु अब धीरे-धीरे बैंको में लगने वाली लंबी लाइनें छोटी होती जा रही हैं।
            500 रूपये और 1000 रूपये के पुराने नोट बंद होने से सामान्यजन ने बैंको में जाकर अपने खातों में पुराने नोट जमा कर दिए । जरूरत के मान से पुराने नोट को नए नोट में बदलवा लिया । उन्होंने अपनी आवश्यकता के अनुसार एटीएम अथवा बैंक जाकर लाइन में लगकर पैसे भी निकालने लगे। किंतु अमीर और भ्रष्ट लोगों ने अपनी ब्लैक मनी को ठीकानें लगाने के लिए नए-नए तरीके इजात करने शुरू कर दिए। उन्होंने इस काम में गरीबों के कंधों का सहारा लिया। प्रधानमंत्री ने गरीबों को शासकीय अनुदान और अन्य सुविधा देने के लिए जन धन योजना के अंतर्गत देश भर में बैंक खाते खुलवाए, ताकि उसमें अनुदान और उनकी राशि सुविधा पूर्वक जमा हो सकें। भ्रष्ट लोगों ने इसी का लाभ लिया। मध्यप्रदेश का ही एक उदाहरण ले तो पता चलता हैं कि प्रदेश में 50 बैंकों की 7038 शाखाओं में जन धन योजना के 2 करोड़ 20 लाख खातों मे केवल 10 नवंबर से 5 दिन के दौरान 1200 करोड़ रूपये जमा हो गए। अर्थात औसतन प्रत्येक खाते में 18333 रूपये जमा हुए हैं। कुछ खातों में 50 हजार से एक लाख रूपये तक जमा हुए हैं। जबकि इन खातों में से 60 लाख खातें ऐसे भी थे, जिनमें 8 नवंबर के पहले कोई बैलेंस नही था। किंतु इन पांच दिनों मे ंउनके खातें में एक लाख रूपये तक जमा हो गए।
           ब्लैक मनी को व्हाइट करने की कवायद के पीछे कहानी यह हैं कि भ्रश्ट लोगों ने अपना पैसा गरीबों को उनके जन धन योजना में जमा करने के लिए दे दिया। और फिर उनसे बैंक से पैसे निकलवाकर अपने पास रख लिए। बदले में उन गरीबों को 10 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक राशि दी गई। रूपयों के लालच में गरीबों ने यह कर भी दिया। उन्हें यह नहीं पता था कि यह करना गुनाह हैं। इसके साथ ही अमीरों ने नोट बदलवाने के लिए भी गरीबों का उपयोग किया। उन्हें प्रतिदिन 500 से लेकर 1000 रूपये देकर नोट बदलवाने अलग अलग बैंको में भेजा और अपनी ब्लैक मनी व्हाइट की। ऐसे ही अनेक कारणों से 10 नवंबर के बाद बैंको में भीड़ लगना शुरू हुई और वहां लंबी लंबी लाइने लग गई । योजना बद्ध तरीके से यह अफवाह भी फैलाई गई की आमजन को अपने रूपये पाने के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ रहा हैं।
            केंद्र शासन के आर्थिक मामले के सचिव श्री शशीकांत दास प्रधानमंत्री से मिले दिशा निर्देश के बाद रूपये बदलवाने, जमा करने तथा निकालने आदि के लिए नियमों में समय-समय पर बदलाव किया। यही नही बैंको में पैसे बदलवाने आने वा ले लोगों की उंगलियों पर स्याही लगाने की भी शुरूवात की। केंद्र सरकार के इन सब प्रयासों से बैंको में भीड़ लगनी कम हो गई। एक ही आदमी अब बैंको में जाकर बार बार पैसे नहीं बदलवा पा रहा हैं। सामान्यजन अब अपनी सुविधानुसार बैंक में जाकर अपना काम कर रहे हैं।
        उद्योगपतियों द्वारा एक नया तरीका अपनाया गया। उनके द्वारा अपने कर्मचारियों को तीन-तीन माह का वेतन अग्रिम नगद पुराने नोट 500 और 1000 में देकर अपनी ब्लैकमनी खपाई जा रही हैं। उनके कर्मचारी भी खुश हैं कि उन्हें तीन माह का वेतन अग्रिम नगद मिल गया। उनकी आय सीमा के अंदर वे रूपये अपने खातों में जमा कर भी सकते हैं, और निकाल भी सकते हैं।
           एक रायशुमारी के अनुसार नोटबंदी से देश में 78 प्रतिशत लोगों की यह राय हैं कि इससे देश में भ्रष्टाचार कम होगा। नोटबंदी से कश्मीर में आंतकवादियों की कमर टूट गई हैं और वहां उनके आव्हान पर कोई बंद नहीं कर रहा हैं। वहां अब जन जीवन सामान्य हो चला हैं। नोटबंदी के करीब दो सप्ताह बाद अब आम लोगों को भी यह समझ में आने लगा हैं कि प्रधानमंत्री ने बड़े नोट बंदी का जो फैसला लिया हैं, वह ठीक ही हैं। इसके अनेक फायदे आगामी समय में दिखाई देंगे।

 

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