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ट्रेन हादसाः चश्मदीद बोला- दो टुकड़े में हो गई बच्ची; भाई-बहनों के साथ पिता को खोज रही रूबी


कानपुर. इंदौर-पटना रेल हादसे में कई परिवार बिखर गए। किसी का परिवार बिछड़ गया, किसी के अपने की जान हादसे में चली गई। इंदौर से बनारस आ रहे गुप्ता परिवार में 10 दिन बाद बड़ी बेटी रूबी की शादी थी। हादसे में रूबी के पिता, एक भाई और छोटी बहन लापता हो गए हैं। एक शख्स ने कहा कि उज्जैन से बैठी तीन साल की बच्ची हंस-खेल रही थी। हादसे के बाद बच्ची के शरीर के दो टुकड़े हो गए। चश्मदीदों ने बताई आंखों देखी...

- रूबी पिता रामप्रसाद गुप्ता, भाई विशाल, अभिषेक और बहन अर्चना और ख़ुशी के साथ इंदौर से आ रही थी।

- रूबी ने बताया, " रात करीब 3 बजे अचानक से बहुत तेज आवाज आई. जब आंख खुली तो एक-दूसरे पर लोग गिर पड़े।"

- "सब के सब बेहोश हो गए 2 से 3 घंटे बाद जब आंख खुली तो भाई विशाल, बहन ख़ुशी ही सामने थी जबकि पापा रामप्रसाद, भाई अभिषेक और बहन अर्चना लापता हैं।

- छोटा भाई विशाल रो-रोकर कह रहा है कि सब गायब हो गए हैं, हमें कोई बताने वाला नहीं है। फ्रैक्चर के बावजूद वह अपना दर्द भूल कर पागलों की तरह अपनों को ढूंढ रहा है।

- बहन ख़ुशी ने कहा, " हादसे की खबर सुनकर इंदौर में बैठी मां ज्ञान्ती गुप्ता की तबियत खराब हो गई। पता नहीं मेरे पापा, भाई, बहन का क्या हुआ?"

- रूबी ने मीडिया से गुहार लगाई कि किसी तरह मेरे परिवार को ढूंढ लो।

बच्ची के मां-बाप का नहीं चला पता

- एक शख्स ने बताया, " उज्जैन से अपने परिवार के साथ ट्रेन में 3 साल की बच्ची बैठी थी, वो काफी हंस-खेल रही थी। हादसे के बाद सुबह देखा तो उसका शरीर दो टुकड़ों में हो गया था। उसके मां-बाप का पता नहीं चल पाया है।"

बिखर गया पूरा परिवार

- अजय शर्मा नाम के शख्स ने फोन पर बताया कि उसके भाई अरुण शर्मा फैमिली के साथ भोपाल से पटना शादी में जाने के लिए निकले थे।

- "पूरा परिवार हादसे का शिकार हो गया। S1 बोगी में अरुण, उनकी पत्नी नूपुर, बेटा दिव्यांश (11) और श्रेयांश (9) बैठे थे।'

- अजय ने बताया कि भाई अरुण की हालत क्रिटिकल है। भाभी नूपुर से फोन पर बात की तो पता चला कि वो बोगी में ही हैं।

 

9 साल के बेटे को ढूंढ रही है मां

- अजय ने कहा, "भाभी नूपुर एक बेटे दिव्यांश के साथ अपने 9 साल के बेटे श्रेयांस को तलाश कर रही हैं, लेकिन उनका पता नहीं चल पा रहा है। 

- कानपुर में नौकरी कर रहे शक्ति पाठक रोते-रोते बताया कि पिता राम कृष्‍ण पाठक भोपाल से लखनऊ के लिए निकले थे, उनके कुछ दोस्‍त भी थे। मैं सब जगह उनको ढूंढ चुका हूंं, लेकिन उनका कोई पता नहीं चल पा रहा है।'

 

देखा तो टुकड़े-टुकड़े हो गया था डिब्बा

- एक चश्मदीद के मुताबिक, "ट्रेन तेज स्पीड से चल रही थी, एकदम से पलट गई। S1 में बैठा हुआ था। डिब्बे के टुकड़े-टुकड़े हो गए थे।"

- "जब संभले तो देखा कि सबकुछ बर्बाद हो गया था। हमारे 5 लोग लापता हैं, हम उन्हीं को ढूंढ रहे हैं।"

केवल चीख-पुकार सुनाई दे रही थी

- एक चश्मदीद ने कहा, "हादसे के वक्त गहरा अंधेरा था, कुछ नजर नहीं आ रहा था, केवल चीख-पुकार सुनाई दे रही थी।"


- "हादसे के वक्त ऐसा लगा जैसे भूकंप आ गया हो, अचानक बर्थ पर सो रहे लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे।"

 

अफसरों ने नहीं दिया ध्यान

- एक दूसरे चश्मदीद ने कहा, "झांसी से जब ट्रेन चली तो एक बोगी के डिब्बे ज्यादा आवाज कर रहे थे। शिकायत की पर रेल अधिकारियों ने सुना नहीं। एक बोगी पुखरायां के पास बुरी तरह लड़खड़ा गई।"
- एक शख्स ने कहा, "बोगी के डिब्बे के आवाज करने की वजह से ट्रेन को दो बार रोका भी गया, लेकिन उसके बाद फिर ट्रेन को चला दिया गया।"

 

मलबे से निकलने की कोशिश कर रहे थे लोग

- एक शख्स ने कहा कि, " कुछ लोग मलबे से निकलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन निकल नहीं पा रहे थे। तब तक कुछ गांव वाले भी आ गए थे, जिन्होंने मदद की।"

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