नोटबंदी के बाद जेब में कैश की लिमिट भी तय कर सकती है सरकार !
500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को रद्द करने के फैसले के बाद अब मोदी सरकार कैश विड्रॉअल, लेन-देन व कोई अपने पास कितना पैसा रख सकता है, इसकी एक लिमिट तय कर सकती है। इस आशय की खबर एक अंग्रेजी अखबार ने छापी है। अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि यह लिमिट कंपनियों के साथ-साथ आम लोगों पर भी लागू होगी।
बीते दिनों सरकार द्वारा सीनियर टैक्स अधिकारियों और विशेषज्ञों से ऐसे कदम के बारे में राय देने को कहा गया था। अब इस नीति को लागू करने के बार में सरकार सोच सकती है। इस रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी अधिकारियों से पूछा गया था कि किस तरह कैश ट्रांजैक्शंस घटाने के बारे में एसआईटी के प्रस्ताव को लागू किया जा सकता है। इस सवाल के जरिये यह जानने की कोशिश हो रही है कि ऐसे कदम को लागू करने में किस तरह की समस्याओं या विरोध का सामना करना पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने इस साल जुलाई में सलाह दी थी कि कैश ट्रांजैक्शंस की लिमिट 3 लाख रुपए और कैश होल्डिंग्स की लिमिट 15 लाख रुपए तय कर दी जाए।
इंडस्ट्री पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि हो सकता है कि सरकार एसआईटी के इस प्रस्ताव को लागू ना करे। इस प्रस्ताव को लागू करने पर कैश ट्रांजैक्शंस और कैश होल्डिंग्स की सीमा बदल जाएगी। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि यह प्रस्ताव लागू करना एक सकारात्मक कदम होगा क्योंकि इससे पैरलल इकॉनोमी खत्म हो जाएगी।
इंडस्ट्री पर नजर रखने वालों ने कहा कि सरकार अगले साल के बजट में ऐसा कदम उठाने पर विचार कर सकती है। सरकार सीबीडीटी या आरबीआई के सर्कुलर के जरिये भी इस बदलाव का ऐलान कर सकती है। विशेषज्ञों ने कहा कि ऐसे कदम का मतलब यह हो सकता है कि ब्लैक मनी के खिलाफ लड़ाई का एक और मोर्चा खुल जाएगा और जीएसटी के साथ मिलाकर देखें तो इसका बहुत असर पड़ेगा।