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बड़े नोट बंद करने से कश्मीर में हालात सुधरी



डॉ. चंदर सोनाने
 
               प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर की मध्यरात्रि से देश में चल रहे बड़े नोट 500 रूपये और 1000 रूपये को बंद करने की घोषणा का असर कश्मीर घाटी में भी दिखाई दे रहा हैं। उपद्रवकारी और आतंकवादी अपने क्षेत्र के युवाओं को पैसे का लालच देकर उन्हें पुलिस और सेना पर पत्थरबाजी करने के लिए भड़काते थे । अब, जब पुराने 500 रूपये और 1000 रूपये के नोट बंद हो गए हैं तो अलगवावादियों के  समक्ष परेशानी आ खड़ी हुई हैं। उनके पास अब ऐसे बड़े नोट हैं, जो चलन से बाहर हैं, जिसे वे युवाओं को भड़काने के लिए नहीं दे सकते । अब अलगाववादियों के पास पैसे नहीं हैं। इसलिए वे युवाओं को नहीं दे पा रहे हैं। इस कारण करीब चार माह बाद कश्मीर घाटी में शांति दिखाई दे रही हैं।
                प्रधानमंत्री ने बड़े नोट को बंद करने के ऐलान के समय यह स्पष्ट रूप से कहा था कि उनके इस फैसले से आतंकवादियों, उपद्रवकारियों और अलगाववादियों की कमर टूटेगी। और यहीं हुआ भी । प्रधानमंत्री की यह भविष्यवाणी कश्मीर घाटी में सही सिद्ध हो रही हैं।
मुख्यमंत्री के फैसले से हुआ असर
                   जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री सुश्री महबूबा मुफ्ती के एक दृढ़ फैसले से भी कश्मीर में हालात सुधरी हैं। जम्मू कष्मीर राज्य सरकार द्वारा हाल ही में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल रहे विभिन्न विभागों के 12 अधिकारियों - कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया हैं। बर्खास्त किए गए ये अधिकारी प्रर्दशनों में जाकर लोगों को माहौल बिगाड़ने के लिए उकसाते थे। ये अधिकारी एवं कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं जाकर रोज अलग अलग इलाकों में जाकर प्रदर्शनों में भाग लेते थे। साथ ही पुलिस और सेनाओं पर युवाओं द्वारा किए जा रहे पथराव में भी ये शामिल होते थे। सीआईडी की गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार द्वारा उक्त सख्त कारवाई करने से भी जम्मू कष्मीर में हालात सुधरे हैं।
                  करीब 26 साल बाद जम्मू कश्मीर राज्य सरकार द्वारा अलगाववादियों और उपद्रवकारियों पर ऐसी सख्त कारवाई की गई हैं। इसके पहले सन् 1990 में 5 कर्मचारियों के विरूद्ध भी ऐसी ही कारवाई की गई थी। गोपनीय रिपोर्ट में ऐसे और भी कर्मचारी शामिल हैं। उनके रिकार्ड की सघन जाँच की जा रही है। जिन 12 कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया हैं , उनमें कश्मीर युनिवर्सिटी के सहायक रजिस्टार, पटवारी, शिक्षा विभाग , पीएचई विभाग, वन विभाग और पशुपालन विभाग के कर्मचारी शामिल थे। राज्य सरकार के इस सख्त फैसले से जम्मू कश्मीर घाटी में अलगाववादी विचारधारा वाले कर्मचारियों और अधिकारियों में खौफ हैं। इस कारण भी जम्मू कश्मीर में स्थिति अब धीरे धीरे सामान्य होती जा रही हैं।
94 प्रतिशत छात्र परीक्षा देने पहुंचे
              यह खुशी की बात है कि कश्मीर में अब छात्रों ने भी अलगाववादियों के आदेश को दरकिनार करना शुरू कर दिया हैं। अलगाववादियों के बंद के आव्हान के बावजूद इसी सोमवार को करीब 94 प्रतिशत छात्र 12वीं की परीक्षा देने पहुंचे। विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए परीक्षा केंद्रों पर सुरक्षा के पुख्ते इंतजाम किए गए थे। कुल 31964 छात्रों को 12वी की परीक्षा देनी थी। इनमें इसे 30213 छात्रों ने 12वीं की परीक्षा दी। यह सुखद स्थिति निर्मित हुई हैं मुख्यमंत्री सुश्री महबूबा के कडे फैसले के कारण। उन्होंनें हाल ही में समय पर परीक्षा कराने का फैसला लिया था और संबंधित समस्त विभागों को इस संबंध में सख्त निर्देश भी दिए थे।
               यही नहीं, अलगाववादियों के बंद के आव्हान के 129 वें दिन भी बाजार में खूब रौनक रही। निडर होकर दुकानदारों ने अपनी - अपनी दुकानें खोली और नागरिकों ने बिना डर के खरीददारी की। अब न तो दुकानदार और न ही नागरिक अलगाववादियों के बंद के आव्हान को तवज्जों दे रहे हैं।
              जम्मू कश्मीर में आंतकवादियों, अलगाववादियों, उपद्रवकारियों पर केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से ही राज्य में  स्थिति सामान्य हो सकती हैं। इस दिशा में यह खुशी की बात है कि राज्य की मुख्यमंत्री सुश्री महबूबा मुफ्ती केंद्र सरकार के सख्त फैसलों पर अपनी सहमति देती दिख रही है। यह जम्मू कश्मीर की स्थिति सामान्य करने के लिए आवश्यक भी हैं। अब उम्मीद की जा सकती हैं कि शीघ्र ही जम्मू कश्मीर में वापस शांति कायम हो सकेगी। देश ही नहीं बाकि विदेश से भी इस जन्नत में सैर करने के लिए फिर से लोगों का आना शुरू हो सकेगा।
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