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चैबीस समवशरण महामंडल विधान में आज जैनेश्वरी दीक्षा



जैनेश्वरी दीक्षा से पूर्व निकली चक्रवर्ती यात्रा-भरत बाहुबली युध्द नाटक का हुआ मंचन
उज्जैन। उपाध्याय निर्भयसागरजी महाराज के सानिध्य में विनोद मिल परिसर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे चैबीस समवशरण महामंडल विधान में आज जैनेश्वरी दीक्षा का आयोजन होगा। जैनेश्वरी दीक्षा से पूर्व ब्रह्मचारी सुनील भैय्या एवं जिनेश्वरी दीक्षा ग्रहण करने वाले सचिन भैय्या के सानिध्य में बुधवार शाम को राजस्व काॅलोनी से चक्रवर्ती यात्रा निकली। यात्रा में 12 बग्घियां, हाथी, घोड़े, बेलगाड़ियां, धर्मध्वजा शामिल थीं। सभी पात्र चक्रवर्ती राजा महाराजाओं की वेशभूषा में निकले। शोभायात्रा शहीद पार्क, टाॅवर चैक, चामुंडा माता चैराहा होती हुई विनोद मिल परिसर पहुंची। यहां पहुंचने के पश्चात रात्रि में भरत बाहुबली युध्द नाटक का मंचन हुआ।
अशोक जैन चायवाला एवं सचिन कासलीवाल के अनुसार आज गुरूवार को सचिन भैय्या की जैनेश्वरी दीक्षा केश लोच के साथ प्रारंभ होगी। मुख्य अतिथि के रूप में केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत उपस्थित रहेंगे। दीक्षा महोत्सव के साक्षी बनने हेतु देशभर से समाजजन उज्जैन पहुंच गए हैं। दीक्षा से पूर्व बुधवार को उपाध्याय निर्भयसागरजी महाराज ने चैबीस तीर्थंकर समवशरण महामंडल विधान के 5वें दिन विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि पद के पीछे नहीं परमात्मा के पीछे भागना चाहिये। रात्रि में भोगों के लिए नहीं बल्कि प्रातः भक्ति के लिए जल्दी जागना चाहिये। पद के पीछे भागने वाला परमात्मा को प्राप्त नहीं कर सकता। भोगों में लीन रहने वाला सच्ची भक्ति नहीं कर सकता। चक्रवर्ती जैसे महापुरूषों का इस दुनिया में नाम नहीं रहा तो हमारा नाम कैसे रहेगा। नाम के पीछे भागने वाला राम को भूल जाता है और रावण जैसा अहंकार में फूल जाता है। सच्चा भक्त एक बार भोजन को छोड़ सकता है लेकिन भजन को नहीं। देवी देवताओं में असीम शक्ति होती है इसलिए कभी उन्हें चैलेंज नहीं करना चाहिये। क्योंकि वे सापानुग्रह करने वालों को सिध्दी स्वतः हो जाती है। आज समवशरण में श्रावक श्रेष्ठी के रूप में अशोक सर ने समवशरण में प्रश्न किया जिसका उत्तर देते हुए उपाध्यायश्री ने उपरोक्त बातें कहीं। उपाध्यायश्री ने कहा कि छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देने से लक्ष्य से भट जाने से और फालतू बैठने से मूड आॅफ हो जाता है। इसलिए मूड फ्रेश रखने के लिए फालतू बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिये। लक्ष्य पर केन्द्रित रहना चाहिये। कार्य में संलग्न रहना चाहिये और मीठा खाना चाहिये। क्योंकि मीठा खाने से सेरोटोनीन बढ़ जाता है और तनाव कम हो जाता है। इस अवसर पर मुख्य समवशरण के प्रमुख पात्रों में चक्रवर्ती सुगनचंद्र धर्मेन्द्र सेठी परिवार, सौधर्म इंद्र इंदरमल प्रकाशचंद्र जैन चिमनगंज मंडी, कुबेर इंद्र सुभाष सिंघई, महायज्ञ नायक हीरालाल राजमल बिलाला, महामंडलेश्वर सुनील जैन ट्रांसपोर्ट, श्रावक श्रेष्ठी लक्ष्मीचंद सिंघई अशोक जैन सर, दिनेशकुमार मनीषकुमार पंड्या, अशोक जैन चायवाले, सचिन कासलीवाल, देवेन्द्र जैन, जिनेन्द्र जैन, प्रवीण रावत, प्रसन्न बिलाला, राजकुमार पाटोदी, ईशान इंद्र कमलकुमार सेठी, महेन्द्र इंद्र विमलचंद्र जैन, सनत इंद्र अंतिम जैन, धर्मचंद्र पाटनी, अनिता दिलीप जैन, नेमीचंद बालचंद, तेजकुमार विनायका, प्रकाश भुता, केवलचंद, डाॅ. राजेश रत्ना जैन, विजयकुमार राजकुमार रावत, डाॅ. जयकुमार जैन, अमृतलाल जैन, सुनीलकुमार मयंक सोगानी, अशोक राणा, जिनेन्द्रकुमार पंकजकुमार चनेवाले, वीरसेन, महावीर छाबड़ा, अंतिम कपुरचंद्र जैन, दुर्लभकुमार जैन, कमलकुमार राजेन्द्र बड़जात्या, फूलचंद्र महावीर छाबड़ा, नेमीचंद लुहाड़िया, रचना भारिल, सुमन जैन, स्नेहलता सोगानी, निशी जैन, संगीता सोगानी, पूजा सोगानी, विनीता कासलीवाल, रूबी जैन, पुष्पा बज, शकुन सोनी, इंद्रकांता बुखारिया, रचना भारिल, विजया जैन, कविता गंगवाल, नीलम पांड्या, अर्चना बड़जात्या, नीलू लुहाड़िया, वर्षा जैन, कुसुम शाह, आभा कासलीवाल, सरोज बाकलीवाल, उषा पांड्या, लीलाबाई जरीवाला, नीलम पांड्या, मोनिका बाकलीवाल, नीलू जैन, संतोष जैसवाल, सुषमा चांदवाड़, ख्याति सोनी, सुशीला चैधरी, रेणु रावत, भारती कजावत, मधु कोठारी आदि उपस्थित थे।

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