कक्षा 5वीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षा फिर शुरू करने की सराहनीय पहल
संदीप कुलश्रेष्ठ
हाल ही में केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की नई दिल्ली में आयोजित बैठक में मध्यप्रदेश के तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री श्री पारस जैन ने यह प्रस्ताव रखा था कि स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए कक्षा 5वीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षाएं फिर से शुरू की जाए। बोर्ड की बैठक में यह प्रस्ताव स्वीकृत हो गया, किंतु उन्होंने यह निर्णय राज्यों की राज्य सरकारों पर छोड दिया। केंद्र से निर्णय होते ही राज्य सरकार ने तुरंत पूरे प्रदेष में कक्षा 5वीं और 8वीं की बोर्ड परीक्षाएं फिर से शुरू करने का निर्णय ले लिया। राज्य सरकार का यह निर्णय एक सराहनीय प्रयास हैं।
उल्लेखनीय है कि केंद्र के निर्देश पर ही राज्य सरकार ने छह से 14 वर्ष की आयु वाले बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने के लिए 16 जनवरी 2010 को उपबंध अनुसूचित किया था। यह अधिनियम एक अप्रैल 2010 से प्रदेश में लागू हो गया। इसमें अनेक महत्वपूर्ण निर्णय थे। इनमें से एक यह भी था कि कक्षा एक से 8वीं तक बच्चों को निर्बाध पास होने दिया जाए। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि पिछले छह साल के दौरान प्रदेष की स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में अत्यंत गिरावट आ गई। हालात यहाँ तक पहुंचे कि जहां पांचवीं कक्षा के बच्चों को लिखना पढ़ना भी नहीं आ रहा था, वहीं 8वीं की कक्षा के विद्यार्थियों को सामान्य गणित के प्रश्नों को हल करना भी नहीं आता था। यह स्थिति प्रदेश में ही नहीं देश भर में देखी गई।
राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने गत शिक्षक दिवस पर दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाते हुए स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में आ रही गिरावट को रेखांकित भी किया। उन्होंने दुख प्रकट करते हुए कहा कि 5वीं और 8वीं के बच्चों को उनकी कक्षा के स्तर का ज्ञान नहीं होना दुखद हैं। उनका यह कहना वर्तमान शिक्षा पद्धति पर एक प्रश्नचिन्ह हैं। राष्ट्रपति जी ने शिक्षा मे आ रही इस गिरावट को रोकने के लिए शिक्षकों से आव्हान भी किया था। राश्ट्रपति की यह वेदना देशभर में स्कूली शिक्षा में शिक्षा के गुणवत्ता की स्थिति को बयां करती हैं।
देशभर में स्कूल शिक्षा में गुणवत्ता में आ रही गिरावट को देखते हुए शिक्षाविदों ने केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड में महत्वपूर्ण फैसला कर लिया। अब राज्य सरकार अपने-अपने राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए परीक्षा लेने तथा अन्य उपाय करने के लिए स्वतंत्र हैं। मध्यप्रदेश में राज्य सरकार ने 5वीं और 8वीं की परीक्षा फिर से शुरू करने का साहसिक निर्णय लिया हैं। यह निर्णय और पहले होना था। किंतु जब जागो तभी सवेरा। अब उम्मीद करते है कि केंद्र और राज्य सरकार के इस फैसले से स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में आ रही गिरावट पर रोक लग जाएगी। और फिर से नींव मजबूत बनाने की दिशा में ठोस कारवाई हो सकेगी।