किसानों की कृषि भूमि है उनकी मांईबाप, उनकी जमीन नहीं होनी चाहिए कुर्क
डॉ. चंदर सोनाने
हाल ही में उज्जैन तहसील के तहसीलदार श्री संजय शर्मा ने उज्जैन तहसील के 99 किसानों की 450 बीघा जमीन कुर्क करने के आदेश जारी किए हैं। ये वें किसान हैं , जिन्होंने राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत बैंक शखाओं से ऋण लिया था किंतु किन्ही कारणों से उसे अदा नहीं कर सकें। किसानों के लिए उनकी कृशि भूमि ही उनकी मांई बाप होती हैं। इसलिए उनकी जमीन किसी भी कीमत पर कुर्क करने से बचना चाहिए।
उज्जैन संभाग के ही षाजापुर जिले के सुजालपुर तहसील का भी ऐसा ही एक प्रकरण और सामने आया हैं। यहां भी हाल ही में रबी फसल का सीजन षुरू होते ही बिजली कंपनी ने किसानों का पुराना बकाया वसूलने के लिए अभियान शुरू किया। विद्युत वितरण कंपनी सुजालपुर उपसंभाग द्वारा क्षेत्र में बकाया 42 करोड़ रूपये की वसूली के लिए 92 हजार उपभोक्ताओं की जमीन कुर्क करने की कारवाई आरंभ की गई हैं। इन उपभोक्ताओं में से 60 हजार ग्रामीण 20 हजार सिंचाई उपभोक्ता और 12 हजार शहरी उपभोक्ता हैं। मात्र 15 हजार रूपये से ज्यादा बकाया राशि वाले 500 ग्रामीण उपभोक्ताओं की संपत्ति कुर्क करने की भी कारवाई की जा रही है। इन बकायादारों की संपत्ति को नीलाम करने की कारवाई बिजली कंपनी करेगी। कंपनी द्वारा पहले चरण में अचल संपत्ति यानी वाहन और घरेलु उपकरण आदि जब्त किए जाएंगे और वसूली नहीं होने की दशा में कृषि भूमि की नीलामी की जाएगी।
यहां यह कदापि नहीं कहा जा रहा है कि ऋण लेने वाले किसानों से वसूली नहीं की जाये। और न हीं यह वकालात की जा रही है कि बिजली का उपयोग करने वाले किसानों , ग्रामिणों और शहरी लोगों से बकाया राशि की वसूली नहीं की जाये। यहां सिर्फ यह कहने का प्रयास किया जा रहा है कि हमारा देश ग्रामीण बहुल देश हैं। गांव में किसान अपनी जमीन में मेहनत मजदूरी कर गुजर बसर करते हैं। यह सर्व ज्ञात है कि खेती फायदे का धंधा नहीं हैं। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से लेकर मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान भी खेती को लाभ का धंधा बनाने का प्रयास कर रहे हैं। अगले पांच साल में किसानों की आय दोगुनी करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विशेष प्रयास भी किए जा रहे हैं। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों को सिंचाई की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। ऐसी स्थिति में किसानों से उनकी कृषि भूमि को कुर्क कर जब्त कर नीलाम करने की कारवाई किसी भी स्थिति में उचित नहीं कही जा सकती हैं।
आए दिन देश के किसी न किसी राज्य में किसानों की आत्महत्या की खबर पढ़न,सुनने में आती रही हैं। कोई भी व्यक्ति आत्मघाती प्रयास तभी करता हैं, जब वों चारों तरफ से हताश और निराश हो जाता हैं। किसानों की आय का एकमात्र साधन उसकी कृषि भूमि ही होती हैं। यहां वे परीवार के सभी छोटे-बड़े सदस्यों के साथ जीतोड़ मेहनत करते हैं। तब कहीं जाकर वे दो जून की रोटी प्राप्त करते हैं। ऐसी स्थिति में किसानों से उनकी जमीन जब्त करने से बचा ही जाना चाहिए।
केंद्र सरकार और राज्य सरकार को किसानों के हित में ऐसे प्रयास करना चाहिए कि किसी भी बुरी से बुरी स्थिति में भी उसकी जीविका का एकमात्र साधन उसकी कृषि भूमि को किसी भी प्रकार से जब्त नहीं की जाये और न ही नीलाम की जाए। यदि किसानों की जमीन इसी प्रकार नीलाम होती रही तो किसानों की आत्महत्या करने की संभावना निश्चित रूप ये बढ़ेगी। इसको रोकने के लिए विशेष योजना बनाने की जरूरत हैं। संवेदनशील प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और किसानों के हितैशी मध्यप्रदेष के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से अपेक्षा हैं कि वें इस ओर गौर करेंगे और किसानों की जमीन जब्त होने व नीलाम होने से बचाने के लिए ठोस कारवाई सुनिष्चित करेंगे।
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