top header advertisement
Home - राष्ट्रीय << विश्वसनीयता मीडिया की सबसे बड़ी चुनौती है। - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

विश्वसनीयता मीडिया की सबसे बड़ी चुनौती है। - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि आज के दौर में जब समाचार और सूचनाओं की बाढ़ आई हुई है, मीडिया के लिए विश्वसनीयता बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। मीडिया प्रतिष्ठानों के लिए इसे बनाए रखना जरूरी है।

 ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की ओर आयोजित रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवार्ड्स समारोह में देश के 37 बेहतरीन खबरनवीसों को पुरस्कार प्रदान करने के बाद मोदी ने कहा कि पहले वाजिब प्रशिक्षण और योग्यता के साथ लोग पत्रकारिता में आते थे। लेकिन अब मोबाइल फोन से कोई भी तस्वीर लेकर उसे अपलोड कर सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के दौर में भी विश्वसनीयता के कारण लोग बीबीसी को पसंद करते हैं। अलजजीरा ने भी इस क्षेत्र में धाक जमा ली है। सीएनएन, अलजजीरा और बीबीसी का असर देखकर पत्रकारिता से जुड़े लोगों को इस विश्वसनीयता को चुनौती के तौर पर लेना चाहिए। हमें विश्वस्तरीय गुणवत्ता के लिए एक भारतीय मीडिया संस्थान बनाना चाहिए। हमें दुनिया में अपनी भूमिका निभाने के लिए विश्वस्तरीय प्रभाव दिखाना होगा। यही हमारा ख्वाब होना चाहिए।

इस अवसर पर अपने स्वागत भाषण में एक्सप्रेस समूह के प्रबंध निदेशक विवेक गोयनका ने कहा कि आरएनजी अवाडर्स समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी दर्शाती है कि राजनेता ही ऐसी सार्वजनिक हस्ती होते हैं, जो आलोचना और सवालों के घेरे में आने के बाद भी अविचलित रहते हैं। उन्होंने कहा कि ये पुरस्कार उस पत्रकारिता को सम्मानित करते हैं, जो रामनाथ गोयनका के मूल्यों और आदर्शों पर आधारित है।

गोयनका ने प्रधानमंत्री के साथ अपनी बैठक का जिक्र किया, जब उन्होंने पुरस्कार वितरण समारोह के लिए उन्हें आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री ने फौरन इस आमंत्रण को स्वीकार किया। उनकी स्वीकृति ने मेरे इस विश्वास को सुदृढ़ किया कि कटुता के इस दौर में हमारे राजनेता हर आलोचना को स्वीकार करते हैं, चाहे वह गलत हो या सही। विवेक गोयनका ने कहा कि इन पुरस्कारों के अलावा समूह प्रशासन पर एक सकारात्मक असर डालने के लिए जिला स्तर के अधिकारियों को एक नया पुरस्कार भी देगा।

समारोह में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘लोगों के पास अब बहुत सारी खबरें आती हैं। इस संदर्भ में विश्वसनीयता बनाए रखना एक बड़ा मसला है और इस समय की सबसे बड़ी मांग है। मोदी ने हल्के -फुल्के अंदाज में कहा कि जहां मीडिया के पास हर चीज और हर किसी के ऊपर टिप्पणी करने की पूरी स्वतंत्रता है, वहीं उसे खुद को लेकर दूसरों के रुख पसंद नहीं आते। उन्होंने कहा कि वे आजादी के बाद से मीडिया में इतनी चर्चा पाने वाले एकमात्र विशेषाधिकार प्राप्त नेता हैं और इसके लिए हमेशा मीडिया के आभारी रहेंगे।मोदी ने मीडिया के सामने दो मुद्दे निर्धारित करते हुए कहा कि उन्हें मीडिया द्वारा सरकार की आलोचना से दिक्कत नहीं है। लेकिन खबर देने में कोई गलती नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता प्राथमिकता होनी चाहिए क्योंकि भारत विविधता से भरा हुआ देश है। प्रधानमंत्री ने कहा, आपके लिए किसी भी तरह का समझौता खबर है और आप अगली खबर की तरफ बढ़ जाते हैं। लेकिन इस तरह के समझौते से पीछे गहरे घाव रह जाते हैं। हम (नेता) भले ही आपसे ज्यादा गलतियां करते हों, लेकिन कृपया राष्ट्रीय एकता की ताकतों को मजबूत करें। मोदी ने साथ ही दुनियाभर में देश के विचारों के मजबूती से प्रसार की खातिर एक विश्वस्तरीय भारतीय मीडिया संगठन के निर्माण का आह्वान किया और पर्यावरण व ग्लोबल वार्मिंग पर मौजूदा बहस का हवाला दिया।

 उन्होंने कहा कि इस तरह का संगठन सरकार से जुड़ा नहीं होना चाहिए।
मोदी ने कहा कि सभी बड़े देश वैश्विक स्तर पर एक मजबूत मीडिया आवाज के निर्माण की दिशा में काम कर रहे हैं और भारत के लिए यह एक अवसर और साथ ही एक चुनौती भी है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने आपातकाल के दौरान रामनाथ गोयनका की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि आपातकाल लोकतंत्र के सामने आने वाले खतरों को समझने के लिए लोगों के लिए एक महत्त्वपूर्ण सबक है। उन्होंने साथ ही कहा कि सभी पीढ़ियों में लगातार आपातकाल के दौर पर चिंतन-मनन किया जाना चाहिए ताकि ‘ऐसा कोई नेता पैदा ना हो जो इस तरह का पाप करने के बारे में सोचे।’ प्रधानमंत्री ने कहा, भारत में आपातकाल का दौर अहम है। जब हम आपातकाल की बात करते हैं, कुछ लोगों को बुरा लगता है। इसे राजनीतिक रूप से देखा जाता है। 

राजनीति का वह दौर खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि आपातकाल का दौर उनकी ‘बिरादरी’ (राजनीतिक वर्ग) को सतर्क बनाए रखने के लिहाज से भी उपयोगी है।

मोदी ने कहा कि आपातकाल के दौरान ऐसे कुछ ही लोग उभरे जिन्होंने व्यवस्था को चुनौती दी। उन्होंने कहा, रामनाथ गोयनका और इंडियन एक्सप्रेस ने निडर होकर ऐसा किया। द इंडियन एक्सप्रेस के मुख्य संपादक राजकमल झा ने अपने धन्यवाद ज्ञापन में प्रधानमंत्री की इस बात से सहमति जताई कि मीडिया को विश्वसनीयता के मुद्दे पर आत्मविश्लेषण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को इसके लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता। झा ने कहा कि मीडिया को अपने अंदर झांककर देखना होगा।हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार की आलोचना करना पत्रकारों के लिए सम्मान की बात है। वे लोग जो यह कहते हैं कि पत्रकारिता मर रही है, उनके लिए झा ने कहा कि यह बेहतर ही हो रही है लेकिन बुरी पत्रकारिता और हंगामेदार हो रही है।

समारोह में 37 खबरनवीसों को रामनाथ गोयनका अवार्ड दिया गया। इस बार के पुरस्कारों का चयन पांच सदस्यों की एक जूरी की ओर से किया गया था। अब तक पचास समाचार संगठनों के 300 से ज्यादा पत्रकारों को यह सम्मान दिया जा चुका है। रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवार्ड्स प्रिंट-प्रसारण और आॅनलाइन पत्रकारिता में उम्दा काम के लिए(अंग्रेजी-हिंदी व अन्य भाषाओं में) दिया जाता है। इंडियन एक्सप्रेस समूह की विरासत को आगे ले जाने के लिए 2005 में रामनाथ फाउंडेशन ने इस अवार्ड की शुरुआत की थी।

Leave a reply