सीमापार चश्मदीदों ने की सर्जिकल स्ट्राइट की पुष्टि, कहा- ट्रक में भरकर ले गई थी पाक सेना आतंकवादियों के शव
पिछले हफ्ते नियंत्रण रेखा के पास भारतीय सेना द्वारा किए गए सर्जिकल स्ट्राइक से जुड़ा बड़ा खुलासा हुआ है. LoC के पास रहने वाले लोगों का दावा है कि 29 सितंबर की रात हुए हमले में मारे गए लोगों के शवों को भोर से पहले ही ट्रक में लादकर ले जाया गया और उन्हें दफन कर दिया गया. मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार बड़े ही गुपचुप तरीके से किया गया.
अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' में छपी खबर के मुताबिक एक चश्मदीद ने तो ये भी बताया कि 'जिहादियों की पनाहगाहों को तबाह कर दिया गया. दोनों पक्षों के बीच भारी गोलीबारी भी हुई. जिहादियों की ये मेकशिफ्ट बिल्डिंग उनके इस पार आने से पहले अपने मुल्क की आखिरी पनाहगाह होती थी.'
चश्मदीदों के इस बयान से भारतीय सेना के दावे की पुष्टि होती है जिसमें उन्होंने आतंकी लॉन्च पैड के खिलाफ हमले किए जाने की बात कही थी. जबकि इससे पाकिस्तान के उस दावे की कली भी खुलती है जिसमें उन्होंने इससे इनकार करते हुए कहा था कि उनके सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर मोर्टार दागे गए हैं.
नियंत्रण रेखा के पास रहने वालों ने सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान निशाना बनाए गए ठिकानों की भी जानकारी दी जो न तो भारत और न ही पाकिस्तान की ओर से सार्वजनिक की गई हैं. हालांकि इंडियन एक्सप्रेस द्वारा द्वारा जुटाई गई चश्मदीदों की गवाही और खुफिया रिकॉर्ड के मुताबिक स्ट्राइक में मारे गए लोगों की संख्या भारतीय अधिकारियों के साझा किए गए 38-50 के आंकड़े से कम हो सकती है. लेकिन अखबार के मुताबिक इस हमले में जिहादियों के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा है.
लश्कर का पूरा ठिकाना हो गया था ध्वस्त
दरअसल एलओसी के पार रहने वाले कुछ लोगों के रिश्तेदार भारत में रहते हैं और उनकी मदद से ही 'इंडियन एक्सप्रेस' ने यह खुलासा करने में सक्षम हुआ पांच उन चश्मदीदों से बात की जिनके रिश्तेदार भारत में रहते हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने अखबार से अपनी पहचान गुप्त रखने का अनुरोध किया है ताकि उन्हें किसी प्रकार का खतरा ना हो।
दो चश्मदीदों ने स्वीकार किया है कि उन लोगों ने सबसे करीब से सर्जिकल स्ट्राइक को महसूस किया था। ये दोनों चश्मदीद दुदनैल में मौजूद थे, यह जगह नियंत्रण रेखा से 4 किलोमीटर अंदर है जहां से भारत की गुलाब पोस्ट नजदीक है। चश्मदीदों ने बताया कि वहां अल-हवाई नाम का एक पुल है और उसके पास बनी एक बिल्डिंग को तबाह कर दिया गया, जहां लश्कर का ठिकाना था।
अल हवाई पुल वह अंतिम स्थान है जहां से आतंकी भारत के कुपवाड़ा में घुसपैठ करने के लिए तैयार रहते हैं। स्थानीय निवासियों में से एक चश्मदीद ने बताया कि वहां पर तेज धमाका हुआ था, शायद 84एमएम की कार्ल गुस्तव राइफल से फायरिंग की गयी थी जिसकी आवाज रात में पूरे अल हवाई पुल के पार सुनाई दी थी। लोग यह देखने बाहर नहीं आए कि वहां क्या हो रहा है। चश्मदीद ने बताया, "लोगों ने भारतीय सैनिकों को तो नहीं देखा लेकिन वो अगली सुबह वहां पर गए जहां लश्कर के लोगों पर आक्रमण हुआ था।"
5-6 शवों को ट्रकों में भरकर ले जाया गया
चश्मदीदों ने बताया कि सुबह-सुबह 5 या 6 शवों को ट्रक में भरकर ले जाया गया था, जिन्हें शायद पास ही के बड़े लश्कर कैंप में ले जाया गया होगा। वह कैंप चलाना में है। चलाना में ही एक मस्जिद भी है जिसमें उस सुबह, रात को मारे गए लोगों का बदला लेने की बात भी कही गई थी।
शुक्रवार को मारे गए लोगों के लिए रखी गयी प्रार्थना सभा
चश्मदीद के मुताबिक, चलाना की मस्जिद में शुक्रवार की नवाज के बाद सर्जिकल स्ट्राइक में मारे गए आतंकियों की मौत का बदला लेने का संकल्प लिया गया। चश्मदीद के मुताबिक मस्जिद में जमा लोग पाकिस्तान आर्मी को हमले के लिए जिम्मेदार बता रहे थे। वे लोग यह भी कह रहे थे कि आने वाले वक्त में भारत को जवाब दिया जाएगा जिसे भारत कभी नहीं भूलेगा।
तैयार नहीं थे आतंकी
अखबार ने खुफिया दस्तावेजों के हवाले से बताया है कि इस सर्जिकल ऑपरेशन से दूसरे आतंकी संगठन भी भौचक रह गए थे। एक चश्मदीद ने बताया कि खैराती गांव में भारतीय सेना ने लश्कर की तीन मंजिला लकड़ी की एक ईमारत को नष्ट कर दिया था। खैराती बाग को लश्कर के प्रमुख ठिकानों के रूप में जाना जाता है। चश्मदीदों ने उन जगहों का भी जिक्र किया जहां पर सर्जिकल स्ट्राइक हुई थीं। अखबार ने कुल पांच लोगों ने इस बारे में बात की।
लीपा में ध्वस्त किया गया लश्कर का ठिकाना
एक चश्मदीद ने बताया कि, यहां के अलावा लीमा में भी उसी दिन सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया जो नौगाम के नजदीक है। भारतीय सेना ने यहां भी लांचिंग पैड्स को निशाना बनाया। वहां रहने वाले लोगों से जब चश्मदीद ने बात की तो वहां के ग्रामीणों ने बताया कि वहां भी एक तीन मंजिला लकड़ी की ईमारत को नष्ट किया गया, इसमें कितने आतंकी मारे गए इसका पता नहीं चल पाया।