1800 साल पुराने इस मंदिर के खंभे गिनने से हो जाती है रहस्यमयी मौत
हमारे भारत देश में ऐसे कई स्थान है जो रहस्यों से भरे पड़े है उन्हीं रहस्यों में एक ऐसी जगह भी है जिसके सामनें विज्ञान के तथ्यों नें भी अपने घुटने टेक दिए है। जिसके बारे में यह पता लगा पाना मुश्किल हो गया कि इस होने वाले चमत्कार का कारण क्या है।
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में बना 1800 साल पुराना महालक्ष्मी का मंदिर है। इसके बारे में सभी लोगों ने अपनी-अपनी धारणा दी है। लेकिन इसके रहस्य को आज तक कोई नहीं जान पाया है। यह विज्ञान के समाने भी चेलेंज बन चुका है। इस मंदिर के चारों दिशाओं में एक-एक दरवाजे लगे रहने के बाद इसमें खंभों को भी बनाया गया है, पर इन खंभों की गिनती आज तक कोई नहीं कर पाया है, कि ये आखिर है कितने…
बताया जाता है कि इस मंदिर में मौजूद बेशकीमती खजाना छिपा हुआ है। इस मंदिर का दरवाजा आज से करीब 3 साल पहले खोला गया था तब इसमें से तो मंदिर कई हजार साल पुराने हीरे,जवाहारात, सोने, चांदी के आभूषण पाये गए थें। जिसकी आज के समय में कीमत अरबों रूपए की आंकी जाती है। महालक्ष्मी मंदिर में मिले काफी पुराने समय का यह सोना कोल्हापुर के कोंकण के राजाओं के द्वारा,चालुक्य राजाओं, आदिल शाह, शिवाजी और उनकी मां जीजाबाई तक के द्वारा चढ़ावा गया था। जब इस मंदिर में मिले खजाने की गिनती करना शुरू हुई तो इसकी पूरी कीमत का अंदाजा लगाना काफी मुश्किल हो गया था। मंदिर के इस खजाने का बीमा भी कराया गया है। ये बीमा कितनी कीमत का है इसका बारे में मंदिर ट्रस्ट ने किसी भी प्रकार का खुलासा नहीं किया है। इससे पहले मंदिर के खजाने को साल 1962 में खोला गया था।
1800 साल पुराना है मंदिर
शिलालेख या पुरातत्वों से मिली जानकारी के अनुसार 1800 साल पुराने इस मंदिर को राजा कर्णदेव के द्वारा बनवाया गया था। धीरे-धीरे इस मंदिर के प्रसिद्ध होने के बाद इसमें और भी परिवर्तन किए गये। मंदिर के आंगन में करीब 35 छोटे-छोटे मंदिरों का निर्माण कराया गया। करीब 27 हजार वर्गफुट में फैला यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में शुमार है। इस मंदिर में विराजमान महालक्ष्मी जी की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा आदि गुरु शंकराचार्य के द्वारा कराई गई थी। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां पर बनाए गए खंभों को आज तक कोई नहीं गिन पाया है। जिसने भी इसे गिनने की कोशिश भी की है उसके साथ कोई अनहोनी घटना होने के बाद वो मारा गया है।