धन से सुविधा तो मिलती है पर शांति नहीं- निर्भयसागरजी म.सा.
उज्जैन। पदार्थ को पाने की दौड़ मौत है तो परमार्थ को पाने की साधना मोक्ष। जिंदगी में हाय-हाय मची है, धन से सुविधा तो मिलती है पर शांति नहीं। नश्वर शरीर के भीतर ईश्वर विद्यमान है पर हम बाहरी ऐश्वर्य के पीछे भाग रहे हैं। भौतिकता में नहीं भगवत्ता में जीना, प्रलोभनों का पूर्णतया त्याग करना, जिसे अपना समझ रखा है उसे बिना खेद के त्याग करना ही आकिंचन धर्म है। जिसके पास, बाहर, भीतर दोनों जगह कुछ भी नहीं है वही आकिंचन धर्म का धारी कहलाता है।
ध्यान सामायिक प्रतिक्रमण पश्चात प्रश्न मंच मुनि शिवदत्तसागर ने तथा पूजन क्षुल्लक चंददत्त सागर ने संपन्न कराई। शिविरार्थियों ने क्या खोया क्या पाया कार्यक्रम में अपने विचार प्रकट किये। जैन मित्र मंडल अध्यक्ष नितीन डोसी एवं चातुर्मास समिति के संजय बड़जात्या ने बताया कि बुधवार को शांतिधारा का लाभ प्रदीप टोंग्या को प्राप्त हुआ। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के श्रृंखला में श्री महावीर मंडल लक्ष्मीनगर द्वारा नृत्य निशा एवं लघु हास्य नाटिका का मंचन किया गया। आज गुरूवार दोपहर 2.30 बजे श्री पार्श्वनाथ मंदिर फ्रीगंज से चल समारोह निकलेगा जो कल्याणमल जैन मंदिर, टॉवर होता हुआ पुनः मंदिरजी पहुंचेगा। जहां श्रीजी का कलशाभिषेक संपन्न होगा।