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अहंकारी व्यक्ति मुर्दे के समान- उपाध्याय निर्भयसागरजी महाराज



उज्जैन। मान का नहीं होना मार्दव है, मृदुता, कोमलता, विनय सभी मार्दव धर्म के ही रूप हैं। अहंकारी व्यक्ति मुर्दे के समान अकड़वाला होता है वो टूट तो जाता है पर झुकता नहीं। ऐसा व्यक्ति कुल, जाति, तप, शरीर आदि प्रकार का अहंकार करता है और वह नीच गति को जाता है।
पर्युषण पर्व के दूसरे दिन फ्रीगंज पंचायती दिगंबर जैन मंदिर में उपाध्याय निर्भयसागरजी महाराज ने मार्दव धर्म पर अपने विचार व्यक्त किये। उपाध्यायश्री ने कहा मार्दव धर्म आज कह रहा है मार दो अपने ईगो को, अहंकार को, मैं को। पर इंसान अपने अहंकार को मारने का प्रयास नहीं करता। सोचता है मैं अहंकार को मार दूंगा तो लोग मुझे कायर, डरपोक समझेंगे। दोपहर में छोटे बच्चों ने तत्वार्थ सूत्रों का वाचन किया। समाज के वरिष्ठजनों द्वारा बच्चों को पुरस्कृत किया। जैन मित्र मंडल अध्यक्ष नितीन डोसी एवं चातुर्मास समिति के संजय बड़जात्या ने बताया कि शांतिधारा करने का सौभाग्य कैलाशचंद्र जैन एवं श्रीजी विराजमान करने का सौभाग्य क्रांतिकुमार सागरवालों को मिला। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में बुधवार को शांतिनाथ दिगंबर जैन महिला मंडल बिनोद मिल की ज्योति जैन एवं सुमन जैन ने बुझो तो जाने कार्यक्रम प्रस्तुत किया। आज गुरूवार प्रातः के सत्र में गुरूदेव द्वारा शिविरार्थियों एवं समाजजनों के कल्याण हेतु उत्तम आजर्व धर्म पर प्रवचन दिये जाएंगे। सायंकालीन सत्र में बच्चों के लिए बालसभा का आयोजन होगा।

 

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