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क्रोध छोड़ने का संकल्प दिलाकर क्षमावान बनने की दिलाई शपथ



पर्युषण पर्व के प्रथम दिन फ्रीगंज पंचायती दिगंबर जैन मंदिर शुरू हुआ श्रावक संस्कार शिविर
उज्जैन। फ्रीगंज स्थित दिगंबर पंचायती मंदिर में पर्युषण पर्व एवं श्रावक संस्कार शिविर के पहले दिन उपाध्याय निर्भयसागरजी महाराज ने सभी शिविरार्थियों व श्रध्दालुओं को क्रोध छोड़ने का संकल्प दिलाकर क्षमावान बनने की शपथ दिलाई। उपाध्यायजी ने कहा कि क्रोध को क्षमा से जीतो। मनुष्य का स्वभाव क्षमा है पर जब इंसान अपने स्वभाव को छोड़कर विभाव में प्रवेश करता है तब क्रोध आता है। जब इंसान के मन के अनुकुल क्रिया नहीं होती तो क्रोध आता है। क्रोध के कारण परिवार, समाज सभी समाप्त हो जाता है। क्रोध को मौन पूर्वक, क्रोध आये तो वहां से हट जाएं तो क्रोध समाप्त हो जाएगा। एक आग और एक पानी हो जाये तो आग बुझ जाएगी। अगर दोनों आग बन जाओगे तो ज्वाला भभक जाएगी।
उपाध्यायजी ने प्रथम दिन उत्तम क्षमा धर्म पर प्रवचन दिये। मंडल अध्यक्ष नितिन डोसी एवं चातुर्मास समिति के संजय बड़जात्या के अनुसार मंगलवार प्रातः क्षुल्लक चंददत्तसागरजी के द्वारा भक्ति आराधना, अभिषेक, पर्युषण पर्व पूजन संपन्न कराई। तत्पश्चात दोपहर में सामायिक पश्चात समाज के 7 वर्ष से 17 वर्ष तक के बच्चों ने तत्वार्थ सूत्र के संस्कृत सूत्र के 10 अध्यायों का वाचन किया। उपाध्यायजी ने तत्वार्थ सूत्र के प्रथम अध्याय के सूत्रों की अर्थ सहित व्याख्या की। शाम को सामायिक प्रतिक्रमण पश्चात सामूहिक आरती, भक्ति भजन, संगीतमय नृत्य नाटिका, सांस्कृतिक कार्यक्रम समाज के बालक-बालिकाओं एवं महिलाओं ने संपन्न किये। श्रावक संस्कार शिविर का उद्घाटन स्नेहलता सौगानी परिवार ने किया एवं शांतिधारा शैलेन्द्रकुमार ने की। श्री पार्श्वनाथ मंदिर समिति वर्षायोग समिति, जैन मित्र मंडल, नारी चेतना मंडल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सायंकालीन सत्र में श्री आदिनाथ महिला मंडल ऋषिनगर ने जैन तीर्थावली कार्यक्रम आकर्षक अंदाज में प्रस्तुत की। पर्युषण के दूसरे दिन आज 7 सितंबर को उत्तम मादर्व धर्म पर प्रवचन होंगे तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत श्री शांतिनाथ महिला मंडल बिनोद मिल द्वारा बुझो तो जाने कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। पर्यूषण महापर्व की पूर्व संध्या पर शहर में प्रथम बार उपाध्याय निर्भयसागरजी महाराज के पावन सानिध्य में शिक्षक दिवस पर शहर के विभिन्न क्षेत्रों में चल रही पाठशालाओं के शिक्षकों का सम्मान किया गया।

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