साक्षी के मेडल जीतने से बंधी उम्मीद, हरियाणा में सुधरेगा लिंगानुपात
नई दिल्ली। रियो ओलिंपिक में साक्षी मलिक के कांस्य मेडल जीतने के बाद उम्मीद बंधी है कि हरियाणा में अब लड़कियों को भी बराबरी का दर्जा मिल सकेगा। ऐसे में हरियाणा का लिंगानुपात सुधरने की उम्मीद की जा सकती है, जो देश में सबसे खराब है।
साल 2011 की जनगणना के अनुसार, हरियाणा का सेक्स रेशो देश में सबसे खराब है। यहां प्रति हजार पुरुषों पर 879 महिलाएं हैं। वहीं, रोहतक में साक्षी के गांव मोखरा खास में तो स्थित और भी खराब है। यहां प्रति हजार पुरुषों पर 822 महिलाएं ही हैं।
हरियाणा में बाल लिंगानुपात सबसे कम 834 है, जो मोखरा खास में महज 800 ही है। मगर, ओलिंपिक में जाने के लिए जिस तरह से हरियाणा के पितृसत्तात्मक समाज में साक्षी ने संघर्ष किया और जीता उसके बाद यहां महिलाओं के प्रति पुरुषों के नजरिये में बदलाव के संकेत दिखने लगे हैं।
स्वास्थ्य विभाग के 2016 के आंकड़े बताते हैं कि हरियाणा में सेक्स रेशों में सुधार होकर 884 हो गया है और मोहरा खास में यह 931 हो गया है। हालांकि यह क्रांति का शुरुआती संकेत है, कई लड़कियों को स्पोर्ट्स में शामिल किया गया है।
रियो ओलिंपिक में इसकी साफ झलक देखी जा सकती है, जहां हरियाणा से खेलने गए पुरुषों से अधिक महिला खिलाड़ियों को शामिल किया गया है। हरियाणा से रियो में गए 20 ओलिंपिक खिलाड़ियों में से 12 महिलाएं हैं।
मोहरा खास के सरपंच सुरेंदर मलिक का मानना है कि साक्षी की उपलब्िध के बाद गांव में महिलाओं और लड़कियों की स्थिति में और सुधार होगा। पहले दहेज के कारण बेटियों को बोझ माना जाता था, लेकिन अब 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसे अभियानों के कारण स्थिति में काफी बदलाव आया है।