17वां कारगिल विजय दिवस आज, देश दे रहा शहीदों को श्रृद्धांजलि
देश मंगलवार को 17वां कारगिल विजय दिवस मना रहा है. इस मौके पर अलग-अलग शहरों में खास आयोजन किए गए हैं, वहीं द्रास के वॉर मेमोरियल समेत कई जगहों पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर शहीद जवानों को नमन किया है.
प्रधानमंत्री रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, थलसेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग, नौसेना प्रमुख सुनील लांबा और वायुसेना प्रमुख अरुप राहा ने इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. प्रधानमंत्री ने भी ट्वीट किया, 'कारगिल विजय दिवस पर मैं उन वीर सैनिकों के आगे सिर झुकाता हूं, जिन्होंने अंतिम सांस तक भारत के लिए लड़ाई लड़ी. उनके वीर बलिदान हमें प्रेरित करते हैं.' रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने भी ट्विटर पर जवानों के बलिदान को सलाम किया है.
शहीदों के परिजनों से मिले रक्षा मंत्री
सोमवार को भी द्रास में बड़ी संख्या में लोगों ने कैंडल जलाकर जवानों की कुर्बानी को याद किया. आर्मी चीफ जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने इस मौके पर कहा है कि भारतीय सेना किसी भी संकट से सामना करने में सक्षम है. उन्होंने कारगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद ये बातें कहीं. इस दौरान उन्होंने शहीदों के परिजनों से मुलाकात की.
500 से अधिक जवान हुए थे शहीद
गौरतलब है कि 1999 में भारतीय सेना ने कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़कर भारतीय जमीन से बाहर कर दिया था. हर साल वीर सैनिकों की कुर्बानी और हमारी जीत को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. 'ऑपरेशन विजय' नाम के इस मिशन में 530 भारतीय वीर सपूतों ने अपने प्राण न्यौछावर किए थे.
इंडिया गेट और जंतर-मंतर पर कार्यक्रम
सैनिकों के पराक्रम को सलाम करने के लिए मंगलवार को इंडिया गेट और जंतर-मंतर के अलावा देश के विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. देश की रक्षा में शहीद होने वाले सैनिकों की याद में सुबह केंद्रीय आर्य युवक परिषद द्वारा जंतर-मंतर पर शहीद स्मृति यज्ञ का आयोजन किया जाएगा, वहीं शाम को सिटीजन फॉर फोर्स संगठन द्वारा जंतर-मंतर से इंडिया गेट तक कैंडल मार्च का आयोजन होना है. इसमें पूर्व सैनिकों के साथ ही आम लोग भी हिस्सा लेंगे.
बता दें कि तत्कालीन वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में पूरे दो महीने से भी अधिक समय तक चले इस युद्ध में भारतीय थलसेना और वायुसेना ने 'लाइन ऑफ कंट्रोल' पार न करने के आदेश के बावजूद अपनी मातृभूमि में घुसे आक्रमणकारियों को मार भगाया था. दुश्मन पर मिली जीत को 26 जुलाई के दिन हर साल कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है.