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गैर-यूरिया उर्वरकों के घटाओ दाम, नहीं तो कटेगी सब्सिडी



केंद्र सरकार ने निजी उर्वरक कंपनियों को सख्त चेतावनी दी है। उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की तरह गैर-यूरिया उर्वरकों की खुदरा कीमत 5,000 रुपये प्रति टन तक घटाने के लिए कहा गया है। ऐसा नहीं करने पर उन्हें मिलने वाली सब्सिडी काट दी जाएगी।

डाइ अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी), म्यूरिएट ऑफ पोटाश (एमओपी) और एनपीके जैसे गैर-यूरिया उर्वरकों की खुदरा कीमतों पर से नियंत्रण हटा लिया गया है। इनके दामों का निर्धारण मैन्यूफैक्चरर्स करते हैं। जबकि केंद्र सरकार उन्हें हर वर्ष तय सब्सिडी प्रदान करती है।

इस महीने के शुरू में उर्वरक मंत्रालय ने सार्वजनिक और निजी दोनों तरह की उर्वरक कंपनियों को उर्वरकों के मूल्य घटाने के लिए कहा था। कच्चे माल की ग्लोबल कीमतों में गिरावट को देखते हुए इसका लाभ किसानों तक पहुंचाने के लिए ऐसा करने को कहा गया था।

इसका पालन करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र की राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स (आरसीएफ) और नेशनल फर्टिलाइजर्स (एनएफएल) ने डीएपी की खुदरा कीमत 2,500 रुपये घटाकर 22,000 रुपये प्रति टन कर दी। इसी प्रकार एमओपी की खुदरा कीमत 5,000 रुपये कम करके 11,000 रुपये प्रति टन की गई। कॉम्प्लेक्स फर्टिलाइजर्स की कीमत में 1,000 रुपये प्रति टन की कमी की गई। इसके उलट निजी कंपनियों ने दरों में कोई कटौती नहीं की।

उर्वरक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय कीमतें कम हुई हैं। निजी कंपनियों को भी खुदरा मूल्य घटाने होंगे। यदि कीमतें कम नहीं की जाएंगी तो सब्सिडी में कटौती होगी। उन्हें यह स्पष्ट रूप से कह दिया गया है। कॉम्प्लेक्स फर्टिलाइजर्स के निर्माण में उपयोग होने वाली कच्ची सामग्रियों के ग्लोबल मूल्य में 50 से 70 डॉलर प्रति टन की कमी आई है।
 

 

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