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IAF के बेड़े में आज शामिल होगा मेड इन इंडिया तेजस



बेंगलुरु। भारतीय वायुसेना को स्वदेशी तेजस की पहली स्क्वाड्रन आज यानी एक जुलाई को मिलेगी। सरकारी क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की ओर से पहले दो तेजस विमान वायुसेना को सौंपे जाएंगे। इससे एलसीए विमानों की पहली स्क्वाड्रन 'फ्लाइंग डैगर्स' बनाई जाएगी।

अधिकारियों ने बताया कि इस अवसर पर समारोह यहां के एयरक्राफ्ट सिस्टम टेस्टिंग प्रतिष्ठान में दक्षिण कमान के प्रमुख एयर मार्शल जसबीर वालिया की मौजूदगी में आयोजित किया जाएगा। स्क्वाड्रन पहले दो साल बेंगलुरु में ही रहेगी।

इसके बाद तमिलनाडु के सुलुर स्थानांतरित कर दी जाएगी। गौरतलब है कि वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने 17 मई को स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस को उड़ाया था। उन्होंने इसे वायुसेना के लिए अच्छा बताया था।

वायुसेना ने कहा कि इस वित्त वर्ष में छह और अगले साल तक कुल आठ विमानों को शामिल करने का विचार है। इस महीने के शुरू में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि जुलाई तक एलसीए स्क्वाड्रन गठित हो जानी चाहिए।

मिग विमानों की तुलना में एलसीए बेहतर हैं। मिग पुराने पड़ चुके हैं और उसके कलपुर्जे पाने में भी दिक्कतें हैं। अधिकारियों के मुताबिक तेजस दुनिया में उत्कृष्ट विमान के रूप में उभर रहा है। विकसित होने के दौरान विमान ने ढाई हजार घंटे के सफर में तीन हजार बार उड़ान भरी है और इसका प्रदर्शन बेहतरीन रहा है। पहले दो साल यह स्क्वाड्रन बेंगलूर में रहेगा फिर तमिलनाडु के सुलूर चला जाएगा।

क्या है स्वदेशी 'तेजस'

    लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) प्रोग्राम को मैनेज करने के लिए 1984 में एलडीए (एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी) बनाई गई थी।

    एलसीए ने पहली उड़ान 4 जनवरी 2001 को भरी थी।

    अब तक यह कुल 3184 बार उड़ान भर चुका है।

ये हैं स्वदेशी 'तेजस' की खूबियां

    तेजस 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।

    तेजस के विंग्स 8.20 मीटर चौड़े हैं। इसकी लंबाई 13.20 मीटर और ऊंचाई 4.40 मीटर है।

    तेजस का वजन 6560 किलोग्राम है।

    तेजस दुश्‍मन के विमानों पर हमला करने के लिए हवा से हवा में मार करने वाली डर्बी मिसाइलों और जमीन पर स्थित निशाने के लिए आधुनिक लेजर डेजिग्‍नेटर और टारगेटिंग पॉड्स से लैस है।

    क्षमता के मामले में कई मायनों में यह फ्रांस में निर्मित मिराज 2000 के जैसा है।

    तेजस का फ्लाइट कंट्रोल सिस्‍टम जबरदस्त है और यह कलाबाजियों में माहिर है।

    विमान का ढांचा कार्बन फाइबर से बना है, जो कि धातु की तुलना में कहीं ज्‍यादा हल्‍का और मजबूत होता है।

    इसमें सेंसर तरंग रडार लगाया गया है, जो कि दुश्‍मन के विमान या जमीन से हवा में दागी गई मिसाइल के तेजस के पास आने की सूचना देता है।

एयर चीफ मार्सल अरुप राहा ने लिया था ट्रायल

    एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने बीते 17 मई को 30 मिनट तक तेजस का ट्रेनर वर्जन उड़ाया था।

    राहा ने बेंगलुरु के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के एरोड्रम से उड़ान भरी थी।

    इस मौके पर राहा ने कहा था, 'तेजस एयरफोर्स के ऑपरेशन के लिए बेहतर साबित होगा।'

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