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भारत-नेपाल सीमा GPS प्रणाली से होगी लैस, सीमा सुरक्षा में प्रभावी होगी तकनीक


भारत-नेपाल सीमा पर आठ हजार से अधिक खंभों को वैश्विक दिशा-निर्देशन उपग्रह प्रणाली का इस्तेमाल कर जीपीएस से लैस किया जाएगा. इससे अधिकारियों को 17 हजार किलोमीटर से लंबी सीमा को पहली बार प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिलेगी.

कार्यकारी समूह की तीसरी बैठक का फैसला
नेपाल के विदेश मंत्रालय ने कहा कि नेपाल-भारत सीमा खंभों के लिए नेपाल-भारत सीमा वैश्विक दिशा-निर्देशन उपग्रह प्रणाली (एनआईबी जीएनएसएस) का इस्तेमाल किया जाएगा. मंत्रालय से जारी एक बयान में कहा गया कि शनिवार को संपन्न हुई नेपाल-भारत सीमा कार्यकारी समूह की तीसरी बैठक में इस संबंध में फैसला किया गया.

सीमा कार्य पर हुई प्रगति की प्रशंसा
तीन दिन तक चली बैठक में नेपाली प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक कृष्ण राज बीसी ने किया. वहीं भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भारत के महा सर्वेक्षक स्वर्ण सुब्बा राव ने किया. बयान में कहा गया, 

‘बीडब्ल्यूजी बैठक में एसओसी बैठकों और संयुक्त फील्ड सर्वेक्षण टीमों (एफएसटी) द्वारा रखी गई रिपोर्टों की समीक्षा की गई और नेपाल-भारत सीमा पर चल रहे सीमा कार्य पर हुई प्रगति की प्रशंसा की गई.’

स्थानीय लोगों को जागरूक करने पर बल
द हिमालयन टाइम्स ने बयान का हवाला देते हुए खबर दी कि पिछले अधूरे काम को पूरा करने को उच्च प्राथमिकता दी जाएगी. इसने कहा, ‘दोनों प्रतिनिधिमंडलों ने प्रभावी सीमा प्रबंधन की पुन: पुष्टि की. इस परिप्रेक्ष्य में स्थानीय अधिकारियों और सीमा के पास रह रहे लोगों को संयुक्त फील्ड टीमों द्वारा किए जा रहे फील्ड कार्य के बारे में जागरूक बनाने के महत्व पर जोर दिया गया.’

अब अगले साल होगी बीडब्ल्यूजी की बैठक
बीडब्ल्यूजी बैठक से पहले सर्वेक्षण अधिकारी समिति (एसओसी) की चौथी बैठक 20 से 22 जून तक हुई थी. दोनों देशों ने फैसला किया है कि एसओसी की अगली बैठक इस साल सितंबर में और बीडब्ल्यूजी की बैठक अगस्त 2017 में भारत में होगी.

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