NSG में सदस्यता के लिए चीन कर रहा हैं भारत का पलड़ा कमजोर, आज होगा फैसला
एनएसजी में भारत की एंट्री रोकने पर चीन अभी भी आमदा है. सोल में शुक्रवार को एनएसजी के सदस्य देशों की बैठक का आखिरी दिन है. ऐसे में हर किसी की निगाह आखिरी बैठक पर टिकी हुई है, लेकिन चीन समेत 6 देश भारत की मेहनत पर पानी फेर सकते हैं. गुरुवार को इन देशों ने भारत को सदस्यता देने के लिए नियमों में ढील के खिलाफ बैठक में जमकर आवाज उठाई.
एनएसजी पर हुए स्पेशल सेशन में भी एनपीटी साइन ना करने वाले देशों को एनएसजी में शामिल करने पर एक राय नहीं बन पाई. चीन के अलावा ब्राजील, ऑस्ट्रिया, न्यूजीलैंड और तुर्की प्रस्ताव के विरोध में दिखाई दिए. हालांकि मीटिंग शुक्रवार को भी जारी रहेगी, लिहाजा आस बनी हुई है.
दूसरी ओर, चीन के एक बार फिर कहा है कि वह एनएसजी के नियमों के पालन के बिना भारत, पाकिस्तान या दूसरे किसी भी देश का सदस्यता के लिए समर्थन नहीं कर सकता. चीन ने नियमों का हवाला देते हुए कहा है कि भारत के लिए उसका विरोध नियमों के आधार पर है.
शी से मिले मोदी, लेकिन नहीं बनी बात
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से ताशकंद में मुलाकात की. पीएम ने जिनपिंग से कहा कि भारत के पक्ष में बनती आम सहमति के साथ चीन को जुड़ना चाहिए. लेकिन चीन ने जवाब दिया है कि अगर एनएसजी की सदस्यता में कोई अपवाद जोड़े गए तो ये दक्षिण एशिया में शक्ति का संतुलन बिगड़ सकता है. ताशकंद में प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को बेलारूस और तजाकिस्तान के राष्ट्राध्यक्षों से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ उनकी द्विपक्षीय वार्ता करीब चार बजे होगी.
डिनर के बाद चीन ने दिखाया रंग
सोल में चीन ने गुरुवार को डिनर के बाद परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की तीन घंटे की बैठक में भारत की कोशिशों के विरोध का नेतृत्व किया. इस कारण यह बैठक बेनतीजा खत्म हुई. 48 सदस्यीय एनएसजी के दो दिवसीय पूर्ण अधिवेशन की शुरुआत गुरुवार को हुई. चीन ने बार-बार कहा है कि भारत की सदस्यता एजेंडा में नहीं है और समझा जाता है कि भारत की कोशिशों पर किसी भी चर्चा को रोकने के लिए हर कोशिश की.
हालांकि, इससे पहले सुबह के सत्र में जापान ने भारत की सदस्यता का मामला उठाया, जिसके बाद चीन डिनर के बाद स्पेशल सेशन में चर्चा के लिए तैयार हुआ. भारतीय आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चीन के साथ स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, आयरलैंड और ब्राजील समेत अन्य देशों ने सवाल किया कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं करने वाले भारत जैसे देश को समूह में कैसे शामिल किया जा सकता है. दरअसल, उनका विरोध सिद्धांत और प्रक्रिया को लेकर रहा.
'ब्राजील का विरोध हैरान करने वाला'
ब्राजील के ऐतराज ने भारतीय राजनयिकों को हैरान कर दिया, क्योंकि वह पांच राष्ट्रों वाले ‘ब्रिक्स’ समूह का सदस्य है. भारत और ब्राजील के अलावा समूह में रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं. सोल में मौजूद विदेश सचिव एस. जयशंकर ने इससे पहले ब्राजील प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की थी. अधिकारियों ने बताया कि चर्चा बेनतीजा रही और शुक्रवार को अधिवेशन के समाप्त होने के पहले ही कुछ स्पष्ट हो सकेगा.