चलें तो यात्रा का आनंद लें और बैठें तो आनंद की यात्रा करें - संत ललितप्रभ
सोच बदलेगा जीवन और खुद को बनाएं जीवन का इंजीनियर नामक दो ग्रंथों का हुआ विमोचन
महावीर बाग, एरोडाम रोड़ पर होंगे सोमवार को प्रवचन, निकलेगी सत्संग षोभायात्रा
इंदौर, 12 जून। महोपाध्याय ललितप्रभ सागर महाराज ने कहा कि आनंद हमारा
स्वभाव है इसलिए खाने को मिल जाए तो खाने का आनंद लें और न मिले तो उपवास
का आनंद लें, चलें तो यात्रा आनंद लें और बैठें तो आनंद की यात्रा करें।
शादी हो जाए तो संसार का आनंद लें और न हो तो शील का आनंद लें। उन्होंने
कहा कि अगर हमारा फैसला है कि मैं हर हाल में खुश रहूँगा तो दुनिया की
कोई ताकत हमें नाखुश नहीं कर सकती।
संतप्रवर रविवार को रवीन्द्र नाट्य गृह में आध्यात्मिक सत्संग समिति
द्वारा आयोजित दो दिवसीय प्रवचनमाला के समापन पर संबोधित कर रहे थे। खुश
रहने का पहला मंत्र देते हुए संतश्री ने कहा कि जो प्राप्त है वही
पर्याप्त है। हमें जो मिला है, जैसा मिला है, उसका स्वागत करना सीखें।
भगवान ने हमें हमारे भाग्य से ज्यादा दिया है इसलिए नहीं का रोना रोने की
बजाय हर हाल में संतुष्ट रहें और जो मिला है उसके लिए भगवान को शुकराना
अदा करें। जब जो जैसा हो जाए उसे प्रेम और सहजता से स्वीकार करें। किसी
बात को लेकर मन में ज्यादा आपाधापी या सिरपच्चि न पालें। घर में केवल कोच
की भूमिका निभाएं, समझाएं और मुक्त हो जाएं। दूसरों को सुधारने की आदत
छोड़ें, खुद को संवारने की कोशिश करें। घर में दीवार भले ही खड़ी हो जाए,
पर ऐसा कोई काम न करें कि मन में दरार आ जाए। उन्होंने कहा कि किसी बात
को लेकर माथा भारी हो जाए तो इन मंत्रों का स्मरण करें - ठीक है कोई बात
नहीं, मेरा है सो जाता नहीं चला गया सो मेरा नहीं, तू थारी संभाल छोड़ शेष
जंजाल, ऐसा सोचते ही तुरंत माथा ठण्डा हो जाएगा।
हर हाल में मुस्कुराएं-खुश रहने के अन्य मंत्र में संतश्री ने कहा कि
मुस्कुराता हुआ चेहरा दुनिया का सबसे खूबसूरत चेहरा होता है। काला
व्यक्ति भी जब मुस्कुराता है तो बहुत सुंदर लगता है, और गौरा अगर मुँह
लटकाकर बैठ जाए तो बहुत भद्दा दिखने लग जाता है। इसलिए हर दिन की शुरुआत
मुस्कुराते हुए करें। हमारे जेब में भले ही न हो मोबाइल पर चेहरे पर सदा
रहे स्माइल।
मन शांत तो सूखी दाल-रोटी भी अच्छी-संतप्रवर ने शांति और सुकून भरी
जिंदगी जीने की कला सिखाते हुए कहा कि मन शांत है तो सूखी दाल-रोटी भी
अच्छी लगती है और मन अशांत है तो छप्पन भोग भी फीके नजर आते हैं। अगर
किसी व्यक्ति के पास महंगी कार हो, सुंदर पत्नी हो पर मन अशांत हो तो
समझो वह दुखी है, वहीं दूसरे व्यक्ति के पास चलाने को केवल साइकिल हो,
सांवली पत्नी हो, पर मन शांत हो तो समझना वह सबसे सुखी है। उन्होंने कहा
कि हम किसी बड़े बंगले में रहते हैं, पर घर में रोज-रोज कलह होती है तो
समझना हम नरक में जी रहे हैं। वहीं हम किसी झौंपड़ी में रहते हैं, पर
उसमें भी शांति है तो वह घर घर नहीं हमारे लिए जीता जागता स्वर्ग है।
शांति की व्यवस्था जीते जी करके जाएं - चुटकी लेते हुए संतश्री ने कहा कि
किसी अमीर व्यक्ति की मृत्यु के पीछे जब श्रद्धांजलि सभा होती है तो लोग
भगवान से यह प्रार्थना नहीं करते कि उसे अच्छी पत्नी, महंगी कार, बड़ा
बंगला अथवा बहुत सारा धन मिले वरन उसके लिए शांति की प्रार्थना करते हैं
क्योंकि उसने सब कुछ कमाया, पर मन की शांति कमा न पाया। उन्होंने कहा कि
हम ऐसा जीवन जीकर जाएं कि हमारे पीछे लोगों को शांति की प्रार्थना न करनी
पड़े वरन हम स्वयं जीते जी शांति की दौलत कमा कर जाएं।
अतिथियों ने किया दो ग्रंथों का विमोचन-कार्यक्रम में संतप्रवर की बदले
सोच बदलेगा जीवन और खुद को बनाएं जीवन का इंजीनियर नामक दो ग्रंथों का
विमोचन डाॅ. अनिल भण्डारी, कांतिलाल बंब, केसरीमल जैन, जयंती संघवी,
प्रकाष मालू, जितेन्द्र षेखावत, सुजानमल चैपड़ा, पारसमल कटारिया, रोहित
मुणोत, पंकज संघवी, अषोक लोढ़ा, सुरेष डोसी, दिलीप सावलानी, नवीन जैन ने
किया। आभार दिनेष डोसी ने दिया। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने हाथ
खड़ेकर संतों से आगामी चातुर्मास करने की विनती की।
महावीर बाग, एरोडाम रोड़ पर होंगे सोमवार को प्रवचन, निकलेगी सत्संग
षोभायात्रा-गुरुजनों के सोमवार को सुबह 9 बजे एरोडाम रोड़ स्थित महावीर
बाग में प्रवचन होंगे। इससे पूर्व श्री जैन ष्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ
द्वारा गुरुजनों के सम्मान में सुबह 8.30 बजे राज मोहल्ला स्थित वैष्णव
स्कूल से सत्संग षोभायात्रा निकाली जाएगी जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु षरीक
होंगे।