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अपने चार दिवसीय चीन दौरे पर बीजिंग पहुँचे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, अहम मुद्दो पर होगी बातचीत


राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 4 दिन के चीन दौरे पर हैं। मंगलवार को वे गुआंगझोउ पहुंचे। इस दौरे का मकसद है दोनों देशों के बीच कोऑपरेशन बढ़ाना और तनाव कम करना। बता दें कि दौरे से ठीक पहले चीन ने न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) में मेंबरशिप को लेकर एक बार फिर भारत का विरोध किया था। प्रणब ने कहा- 'चीन की तरक्की हमें इन्स्पायर करती है। अगर दोनों देशों के 2.5 अरब लोग साथ आ जाएं तो इतिहास रच देंगे।'

गुआंगझोउ में दी स्पीच में ये बोले...
- प्रणब ने कहा, 'चीन में 45 हजार भारतीय रह रहे हैं। दोनों ही देश डेवलपमेंट की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। अगर आपसी समझ और कोऑपरेशन बढ़ा लिया जाए तो दोनों देश नई ऊंचाइयों पर पहुंच सकते हैं।'
- प्रणब ने कहा, 'चीन और भारत का काफी लंबे समय से नाता रहा है।'
- 'चीन की इकोनॉमिक अचीवमेंट्स हमें इन्स्पायर करती हैं।'
- प्रणब ने ये भी कहा, 'भारत के प्रॉडक्ट्स के लिए चीन एक बड़ा मार्केट साबित होगा। भारत ने अपनी इकोनॉमी ने कई रिफॉर्म्स किए हैं, इससे दोनों देशों का बिजनेस बेहतर होगा।'

चीनी नेताओं के साथ बातचीत में ये मुद्दे रहेंगे अहम
- बुधवार और गुरुवार को प्रणब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पीएम ली केकियांग समेत कई नेताओं से मुलाकात करेंगे।
- इसमें एनएसजी में भारत की मेंबरशिप, जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को यूएन के ब्लैक लिस्ट में डाले जाने का मुद्दा अहम रहेगा।
- बता दें कि चीन ने यूएन सिक्युरिटी काउंसिल में अजहर को ब्लैक लिस्टेड करने पर वीटो कर दिया था।
- बीजिंग रवाना होने से पहले प्रणब गुआंगझोउ में हुआ लिन टेंपल भी जाएंगे। ये टेंपल भिक्षु बोधिधर्म की याद में बनाया गया है।

चीन का भारत में इन्वेस्टमेंट
- चीनी मीडिया की रिपोर्ट की मुताबिक, चीन का इन्वेस्टमेंट 6 गुना बढ़कर 870 मिलियन डॉलर हो चुका है।
- चीन हरियाणा में भारतीय वांडा ग्रुप के साथ मिलकर इंडस्ट्रियल पार्क बना रहा है। इसकी लागत करीब 10 बिलियन डॉलर होगी।

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