भारतीय मरीन इंजीनियर संतोष भारद्वाज समुद्री डाकुओं के चंगुल से छूटे, दोहरी फिरौती देने के बाद किया रिहा
पैंतालीस दिनों के बाद नाइजीरियाई समुद्री डाकुओं के चंगुल से मुक्त हुए भारतीय मरीन इंजीनियर संतोष भारद्वाज बुधवार देर शाम परिवार के बीच लौट आए। वह बुधवार को ही भारत पहुंचे। वाया मुंबई विमान के जरिए वह बाबतपुर एयरपोर्ट आए। संतोष को सकुशल देख घरवालों की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। मिठाइयां खिलाकर एक दूसरे को बधाई दी गई। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी संतोष के परिजनों को ट्वीट कर बधाई दी।
मंडुवाडीह के राजतिलक नगर के रहने वाले संतोष भारद्वाज सिंगापुर के ट्रांस ओशन लिमिटेड में मरीन इंजीनियर हैं। संतोष कच्चे तेल से लदा शिप लेकर नाइजीरिया से गुजर रहे थे। 26 मार्च को नाइजीरिया की राजधानी लॉगोस से 30 नॉटिककल मील की दूरी पर समुद्री डाकुओं ने संतोष समेत शिप से पांच लोगों को अपहृत कर लिया। डकैत संतोष को मुक्त करने के एवज में फिरौती मांग रहे थे।
पीएम जनसंपर्क दफ्तर पर पत्नी ने लगाई थी गुहार
संतोष के परिजनों ने मामले की फरियाद पीएम के रवीन्द्रपुरी स्थित जनसम्पर्क कार्यालय से लेकर विदेश मंत्रालय तक की। मामले का संज्ञान लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने नाइजीरियाइ सरकार पर संतोष को मुक्त कराने के लिए दबाव बनाया। संतोष के साले ज्ञानप्रकाश का कहना है कि भारत सराकर के दबाव पर कंपनी ने डाकुओं को फिरौती देकर आठ मई को संतोष को मुक्त कराया। बुधवार की शाम संतोष वाया मुंबई फ्लाइट से बाबतपुर पहुंचे। पिछले डेढ़ महीने से जिसकी रिहाई के लिए मन्नते मांगी जा रही थी उसे आंखों के सामने देख परिजन खासे भावुक हो गए।
खुशी के मारे नहीं फूट रहे थे बोल
मरीन इंजीनियर संतोष भारद्वाज के सकुशल वापस लौटने की खुशी पूरे मोहल्ले में थी। सुबह से ही बधाई देनेवालों का तांता लगा था। सबसे ज्यादा खुश संतोष की पत्नी कंचन थी। पति के लौटने की जानकारी होते ही खुशी के आंसू छलक पड़े। खुशी के मारे गला रुंध गया। बस इनता कह सकीं- भगवान ने दुआएं कबूल कर ली। पति के अपहृत होने के बाद से कंचन की हालत विक्षिप्तों जैसी हो गई थी। गम में उन्होंने खाना पीना छोड़ दिया था। विदेश मंत्री सुषमा स्वाराज ने ट्वीट कर उनसे धैर्य रखने की अपील की थी।
दोबारा फिरौती देने के बाद हुआ मुक्त
संतोष के साले ज्ञानप्रकाश बताते हैं कि इतने दिनों में कंपनी से बातचीत से एक बात साफ हो गई। नाइजीरियाई पुलिस इस मामले में सीधे कार्रवाई करने से बच रही थी। कंपनी अधिकारी डकैतों से फिरौती की रकम के लिए बात कर रहे थे। 28 अप्रैल को कंपनी अपहृत चारों कर्मचारियों के लिए फिरौती की रकम भेजी थी जिसे बाद में डकैतों ने बढ़ा दी। आठ मई को दोबारा फिरौती की रकम भेजी गई तब जाकर संतोष को मुक्त किया गया। ज्ञान प्रकाश बताते हैं कि डकैत अपहृत लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। फिरौती मिलने के बाद उन्हें लौटा दिया जाता है। नाइजीरिया के ये डकैत विश्व की तमाम शिपिंग कंपनियों से करोड़ो रुपये लूट रहे हैं।
आखिरी समय में दी संतोष के लौटने की सूचना
शिपिंग कंपनी ने संतोष की सुरक्षा के मद्देजनर उसके भारत लौटने की सूचना आखिरी समय में दी। संतोष के घरवालों का कहना है कि रविवार को संतोष के रिहा होने की सूचना उन्हें मिल चुकी थी लेकिन वह भारत कब लौटेंगे, इसकी जानकारी नहीं थी। मंगलवार दोपहर तक संशय बना रहा। बुधवार शाम पांच बजे कंपनी के अधिकारियों ने फोन कर संतोष के परिजनों को सूचना दी कि वह सात बजे की फ्लाइट से बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचने वाले हैं।