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शिक्षक बने गृह मंत्री श्री गौर



गृह एवं जेल मंत्री बाबूलाल गौर  हनुमानगंज थाना परिसर में संचालित अनौपचारिक पाठशाला में बच्चों के साथ शिक्षक बन गये। श्री गौर ने शिक्षक की कुर्सी सम्हाली और कक्षा में मौजूद बच्चों को पढ़ाया। गुरुजी से जो बच्चों ने सीखा, उसकी जानकारी भी उन्होंने ली।

गौर ने अनौपचारिक स्कूल में अध्ययनरत जुनैद, शाहिद, कुमारी सानिया और कनक से सवाल पूछे। बच्चों ने गिनती, वर्णमाला और पहाड़े सुनाये। श्री गौर ने कहा कि झुग्गी बस्ती के स्कूल से वंचित बच्चों को अनौपचारिक पाठशाला में लाकर उन्हें विद्याध्ययन से जोड़ने का भोपाल पुलिस का प्रयास प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि सामाजिक-शैक्षणिक कार्य को पूरी शिद्दत से करते हुए उन्होंने अपने पाँच दशक के सार्वजनिक जीवन में पहली बार देखा है। श्री गौर ने पाठशाला के लिये 25 हजार रुपये स्वीकृत किये।

श्री गौर ने कहा कि सामाजिक परिस्थितियों के चलते व्यक्तित्व निर्माण के लिये जरूरी अध्ययन से वंचित रहने वाले बच्चों को शिक्षित कर सभ्य नागरिक तैयार करने के इस यज्ञ में वह सहयोग के लिये सदैव तत्पर हैं।

डीआईजी डॉ. सिकरवार ने बताया कि झुग्गी बस्ती क्षेत्र में पारिवारिक हालातों के चलते स्कूल जाने से वंचित बच्चों को विद्याध्ययन से जोड़ने के लिये थाना हनुमानगंज के परिसर में 26 जनवरी, 2016 से अनौपचारिक पाठशाला शुरू की गयी है। जिले के अन्य थाना में भी इस प्रकार की पाठशाला शुरू की जायेंगी। थाना की प्रधान आरक्षक सुश्री सुषमा देशमुख, सुश्री पवित्रा गौर और आरक्षक सुश्री सुनीता यादव पढ़ाने की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। उन्होंने बताया कि जब यह बच्चे स्कूल से घुल-मिल जायेंगे, इनकी पढ़ने में रुचि बन जायेगी और इनकी आयु के मान से शिक्षा का स्तर हो जायेगा तब इनको औपचारिक स्कूल में दाखिला दिलाया जायेगा। इसके बाद फिर स्कूल जाने से वंचित बच्चों को अनौपचारिक पाठशाला में शामिल किया जायेगा।

दो माह में एक थाना से 35 जिला बदर

मंत्री बाबूलाल गौर ने हनुमानगंज थाना का निरीक्षण भी किया। श्री गौर ने कहा कि जुआ, सट्टा में लिप्त अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करें। अपराधों पर नियंत्रण के लिये पूरी दृढ़ता से कार्यवाही की जाये। पुलिस अधीक्षक श्री अरविंद सक्सेना ने बताया कि थाना हनुमानगंज द्वारा पिछले तीन माह में 35 प्रकरण जिलाबदर के बनाये गये हैं। इनमें अधिकतर अपराधी जुआ-सट्टा संचालित करने में लिप्त रहे हैं।
महेश दुबे

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