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जिला पंचायत को दो और जनपद पंचायत को सीधे मिलेंगे एक करोड़



सरपंच को एक बार में आकस्मिक व्यय के लिये मिलेंगे 10000 रूपये
जिला, जनपद पंचायतों को राजस्व संबंधी मामलों में व्यापक अधिकार मिलेंगे
मुख्यमंत्री चौहान ने जिला, जनपद पंचायतों को दिये व्यापक वित्तीय, प्रशासनिक और राजस्व अधिकार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने त्रि-स्तरीय पंचायत राज संस्थाओं को  और अधिक सशक्त बनाने के लिए पंचायतों को व्यापक प्रशासनिक, वित्तीय और राजस्व संबंधी अधिकार देने का निर्णय लिया है।

वित्तीय अधिकार

अब प्रत्येक जिला पंचायत को दो करोड़ तथा प्रत्येक जनपद पंचायत को एक करोड़ की राशि राज्य वित्त आयोग के द्वारा अनुशंसित शेयर में से सीधे विभाग द्वारा जारी की जाएगी। इस राशि से कौन से कार्य किए जाना है इसका निर्णय संबंधित जिला या जनपद पंचायत द्वारा लिया जाएगा। आवंटित राशि समानुपातिक रूप से प्रत्येक सदस्य में आवंटित करने के लिये पंचायत स्वतंत्र होंगी।

राज्य वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित राशि तथा स्टाम्प शुल्क की निर्धारित राशि का आवंटन जिला / जनपद पंचायतों को मापदण्ड बनाकर किया जाएगा। इस राशि का व्यय जिन कार्यों पर किया जाना है उसकी प्राथमिकता संबंधित संस्था द्वारा तय की जाएगी ताकि गुणवत्तापूर्ण स्थाई परिसंपत्ति का निर्माण हो सके। राज्य शासन से प्राप्त होने वाली जन-भागीदारी की राशि आनुपातिक रूप से जिला पंचायत को उपलब्ध करवायी जायेगी।

प्रशासनिक अधिकार

स्थानांतरण के फलस्वरूप ग्राम पंचायत सचिवों को बार-बार सचिव के रूप में अधिसूचित करने की आवश्यकता नहीं होगी। राज्य शासन द्वारा तैयार स्थानांतरण नीति के अनुसार ग्राम सचिव का जनपद के अंतर्गत स्थानांतरण जनपद पंचायत तथा जनपद से अन्य जनपद में जिला पंचायत द्वारा किया जायेगा। जिला पंचायत/जनपद पंचायत के कर्मचारियों के स्थानांतरण की नीति बनाई जाएगी ।

राज्य शासन द्वारा जिला पंचायत/जनपद पंचायत ’’कार्यालयीन कार्य प्रक्रिया संहिता’’ तैयार की जायेगी। प्रशासनिक अधिकारों के अंतर्गत अब नस्तियाँ निम्नानुसार अध्यक्ष जिला पंचायत/जनपद पंचायत को भेजी जायेगी -

    जिला पंचायत/जनपद पंचायत के कार्यालयीन स्टाफ की स्थापना से संबंधित नस्ती अनुमोदनार्थ।

    साधारण सभा/स्थाई समितियों की बैठको की एजेंडा नस्ती अनुमोदनार्थ।

    बैठकों की कार्यवाही विवरण संबंधी नस्ती अनुमोदनार्थ।

    जिला पंचायत के समन्वय के अंतर्गत दिए गए विभागों के वार्षिक बजट संबंधी नस्ती अनुमोदनार्थ।

    जिला एवं जनपद पंचायत के स्वामित्व की परिसंपत्तियों के आय-व्यय संबंधी नस्ती अनुमोदनार्थ।

    कर, उपकर, पथकर, शुल्क, फीस इत्यादि के अधिरोपण संबंधी नस्ती अनुमोदनार्थ।
    जिला पंचायत/जनपद पंचायत के स्वामित्व/प्रबंधन की संपत्ति संबंधी नस्ती अनुमोदनार्थ।

    स्थाई समितियों का कार्यवाही विवरण अवलोकनार्थ।

    विभागों व्दारा किए गए कार्य एवं व्यय की जानकारी अवलोकनार्थ।

कार्य दक्षता बढ़ाने मिलेंगी सुविधाएँ

    जिला/जनपद अध्यक्षों को शासकीय कार्य हेतु कम्प्‍यूटर या लेपटाप उपलब्ध करवाये जाएंगे।

    जिला पंचायत अध्यक्ष को निज सहायक की सेवा जिला पंचायत के उपलब्ध स्टाफ से दी जायेगी।

    जिला पंचायत अध्यक्ष तथा जिला पंचायत उपाध्यक्ष को क्रमशः 275 लीटर तथा 100 लीटर डीजल की पात्रता होगी।

    मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना एवं खेत सडक योजना की जिले की वार्षिक कार्य योजना जिला पंचायत के समक्ष अवलोकनार्थ प्रस्तुत की जाएगी। जिला पंचायत द्वारा आवश्यक सुझाव दिए जा सकेंगे, जिसमें विभाग व्दारा पृथक से कार्यवाही की जाएगी।

    सरपंच को एक बार में आकस्मिकता व्यय हेतु 10,000 रूपये नगद आहरण की अनुमति होगी। वर्षभर में यह आहरण 1 लाख रूपये से अधिक नहीं किया जाएगा।

    पंच का मानदेय 100 से बढ़ाकर 200 रूपये किया जाएगा। वर्ष में यह राशि अधिकतम 1200 रूपये होगी। पंचों का भत्ता बैठक की समाप्ति के तुरंत बाद उन्हें दिया जायेगा।

राजस्व संबंधी अधिकार

    पंचायत राज संस्थाओं को निम्नानुसार राजस्व संबंधी अधिकार होंगे -

    अविवादग्रस्त नामांतरण-धारा 110 की तहसीलदार की शक्तियों का सौंपा जाना।

    सीमा चिन्हों का पर्यवेक्षण। धारा 128 की तहसीलदार की शक्तियों का सौंपा जाना।

    सीमा चिन्हों को क्षति पहुँचाने पर शास्ति धारा 130 की तहसीलदार की  शक्तियों का सौंपा जाना।

    कोटवार की नियुक्ति के लिये अनुशंसा धारा 230 के नियम के अंतर्गत। सार्वजनिक तालाबों की व्यवस्था धारा 251 के नियम अंतर्गत।

    ग्राम सभा में समस्त पटवारी अभिलेख, खसरा पंचसाला, अधिकार अभिलेख,    निस्तार पत्रक आदि की प्रति रखी जाने बाबत्।

    आबादी में आवासहीनों को भू-खंड का आवंटन धारा 244 के अधीन बने नियम के अंतर्गत।

    अविवादित बँटवारा धारा 178 की तहसीलदार की शक्तियों का सौंपा जाना।

जहां भी पटेल व्यवस्था नहीं है, वहाँ ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव संयुक्त रूप से पटेल के कर्त्तव्यों के लिए उत्तरदायी बनाये जाये। धारा 142 और ग्राम पंचायत का समस्त अधिकार धारा 222-229।

फसल कटाई प्रयोग की जानकारी ग्रामसभा में रखी जायेगी।

बीपीएल की सूची में नाम जोड़ने तथा नाम विलोपन पश्चात् सूची ग्राम पंचायत को अवलोकन हेतु प्रस्तुत की जायेगी।

संयुक्त वन प्रबंधन के अंतर्गत गठित समस्त प्रकार की समितियों का संचालन ग्राम सभा के पर्यवेक्षण में रहेगा।

जिन विभागों के अधिकार त्रि-स्तरीय पंचायत राज संस्थाओं को प्रत्यायोजित है, वे यह सुनिश्चित करेंगे कि कार्यों संबंधी निर्णय उन संस्थाओं की स्थाई समितियों के माध्यम से हो। विभागों द्वारा गठित अन्य समितियों की आवश्यकता पर पुनर्विचार करने के लिए राज्य स्तर पर समिति गठित की जावेगी, जिसमें पंचायत राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों को भी रखा जायेगा। पंचायत राज संस्थाओं को और सशक्त करने के लिए भी यह समिति अनुशंसाएँ देगी।

इन सभी निर्णयों पर तत्काल प्रभाव से क्रियान्वयन की कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिये मुख्यमंत्री द्वारा सभी विभागों को निर्देशित किया गया है।
ए.एस.

 

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