पाषाणीय सौन्दर्य की पराकाष्ठा है रनेह-फाल
वर्ष 2015 में पहुँचे तकरीबन 40 हजार देशी-विदेशी पर्यटक
विश्व प्रसिद्ध खजुराहो से मात्र 20 किलोमीटर दूरी स्थित रनेह-फॉल, लगता है जैसे प्रकृति भी मानव शिल्प को चुनौती दे रही हो। खजुराहो के मंदिर जहाँ मानव निर्मित शिल्प के अदभुत उदाहरण हैं, वहीं विशाल रनेह-फॉल की बहुरंगी शुद्ध क्रिस्टल ग्रेनाइट, लाइम-स्टोन, काग्लोमरेट, बेसाल्ट तथा डोलोमाइट की परतदार चट्टानों का अप्रतिम सौन्दर्य पर्यटक को अवाक कर देता है। यही कारण है कि इसकी अदभुत छटा को निहारते विदेशी पर्यटक अक्सर रनेह-फॉल की तुलना उत्तरी अमेरिका के सुप्रसिद्ध केन्यन से करते मिल जायेंगे। करीब 40 हजार देशी-विदेशी पर्यटकों ने वर्ष 2015 में इस अदभुत प्राकृतिक सौन्दर्य का लुत्फ उठाया।
पन्ना टाइगर रिजर्व के मुहाने पर स्थित रनेह-फॉल देश के ग्रेन्ड केन्यन के रूप में भी जाना जाता है। केन नदी का यमुना से मिलन खूबसूरत रनेह-फॉल बनाता है। केन नदी के जल-प्रपातों ने 5 किलोमीटर लम्बी और 98 फीट गहरी बुन्देलखण्ड ग्रेनाइट तथा विंध्ययन परतदार चट्टानों से केन्यन का निर्माण किया है। गुलाबी, लाल, ग्रे, हरे रंग की विशाल चट्टानों पर पड़ती डूबते सूर्य की किरणें और इनके बीच में हरित नील आभा लिये पानी पर्यटक को किसी दूसरी ही दुनिया में पहुँचा देती है। यहीं केन घड़ियाल अभयारण्य भी है। केन नदी के किनारों पर मगर और घड़ियालों को धूप सेंकते देखा जा सकता है।
विश्व की प्राचीनतम विन्ध्य बेसाल्ट चट्टान पर गिरने वाले रनेह-फॉल का रास्ता पन्ना टाइगर रिजर्व में से गुजरने के कारण काफी रमणीक है। कुलाँचे भरते हिरण, नील गाय, सांभर, चीतल और रंग-बिरंगी चिड़िया पर्यटक का मन मोह लेती है। स्थानीय लोग इसे ज्वालामुखी का क्रेटर मानते हैं।
सुनीता दुबे