भारत बनेगा दुनिया की सबसे बड़ी अर्थ-व्यवस्था
मध्यप्रदेश करेगा नवकरणीय ऊर्जा, खाद्य प्र-संस्करण जैसे क्षेत्रों में निवेश
सिंगापुर में दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान में मुख्यमंत्री चौहान का व्याख्यान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि 2050 तक भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थ-व्यवस्था बनेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अर्थ-व्यवस्था को मजबूत बनाने की तैयारियाँ शुरू हो गई हैं। मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्टार्ट अप कार्यक्रम जैसे अनूठे कार्यक्रमों से भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। चौहान आज सिंगापुर यात्रा के दौरान इंस्टीटयूट आफ साउथ एशियन स्टडीज में 'विकास के संदर्भ में समावेशी प्रगति' पर व्याख्यान दे रहे थे।
चौहान ने कहा कि अब भारत में अनिर्णय की स्थिति समाप्त हो गई है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हर क्षेत्र में उत्साहजनक वातावरण है। निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी आई है।
पावर सरप्लस मध्यप्रदेश
श्री चौहान ने मध्यप्रदेश में हुए तेजी से हुए विकास की चर्चा करते हुए कहा कि आज विकास के सभी क्षेत्रों में एक साथ तेजी से काम शुरू हुआ। सभी गाँव आपस में जुड़ गये हैं। इससे अर्थ-व्यवस्था में तेजी आई। आज विद्युत की उपलब्धता भरपूर है। एक दशक पहले मात्र 2900 मेगावाट बिजली थी, आज बढ़कर 16,500 मेगावाट हो गई है। अब मध्यप्रदेश दूसरे राज्यों को भी बिजली देने में सक्षम हो गया है।
श्री चौहान ने कहा कि भविष्य में बिजली की आवश्यकता और पर्यावरण हानि को देखते हुए बिजली उपलब्ध करवाने के लिये ग्रीन ऊर्जा के क्षेत्र में ज्यादा निवेश करने पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश का सबसे बड़ा 135 मेगावाट क्षमता का सोलर पावर प्लांट मध्यप्रदेश के नीमच जिले में स्थापित है और विश्व का सबसे बड़ा 750 मेगावाट क्षमता का सोलर पावर प्लांट भी मध्यप्रदेश के रीवा जिले में स्थापित हो रहा है। नवकरणीय ऊर्जा में निवेश की संभावनाओं को आकार दिया जा रहा है।
विश्व में सबसे ज्यादा कृषि वृद्धि दर
कृषि उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि की चर्चा करते हुए श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश की कृषि वृद्धि दर दुनिया में सबसे ज्यादा है। सिंचाई में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है। अब राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री की सोच के अनुसार हर बूँद से ज्यादा खेती करने का कार्यक्रम बनाया गया है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से अब देश में परिवर्तन होगा। मध्यप्रदेश में उद्योगों के लिये भी पानी की कोई कमी नहीं है। श्री चौहान ने कहा कि खेती से उद्योग की ओर बढते हुए खाद्य प्र-संस्करण पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।
ए.एस.