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कुपोषित बच्चों को सुपोषित बनाने के लिये अभिनव प्रयास



तीन लाख नये बच्चे जुड़े आँगनवाड़ी केन्द्रों से
सुपोषित मध्यप्रदेश बनाने के लिये पिछले वर्ष अभिनव प्रयास किये गये। इससे उन बच्चों और गर्भवती धात्री महिलाओं को लाभ मिला, जो एकीकृत बाल विकास परियोजना द्वारा संचालित सेवाओं की पहुँच से बाहर थीं। इसके लिये कुपोषित बच्चों को तीसरा मील घर ले जाने के लिये टिफिन और पायलट प्रोजेक्ट में पाँच जिले में गर्भवती एवं धात्री माताओं को फुल मील की शुरूआत की गयी। बच्चे आँगनवाड़ी जायें, उसकी सेवाओं से लाभान्वित हों, इसके लिये बीते वर्ष में दो चरण में चलाये गये आँगनवाड़ी चलो अभियान के जरिये 3 लाख बच्चों को केन्द्रों से जोड़ा गया।

महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने बताया कि आँगनवाड़ी में जो बच्चे नहीं पहुँच पाते थे, वे अस्थायी बसाहट में रहते थे। इनके लिये इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर और भोपाल में चलित आँगनवाड़ी 'जुगनू'' शुरू की गयी। कुपोषण के विरुद्ध शुरू किये गये सुपोषण अभियान से प्रदेश में कुपोषण में उल्लेखनीय कमी दर्ज हुई। श्रीमती सिंह ने बताया कि कुपोषित बच्चों की निगरानी और उनके पुनर्वास के लिये डे-केयर सेंटर-कम-क्रेश की स्थापना की गयी। प्रदेश के चार जिले धार, सिंगरौली, श्योपुर और शिवपुरी की 300 आँगनवाड़ी में डे-केयर सेंटर स्थापित किये गये। समाज को कुपोषण के विरुद्ध चल रहे अभियान से जोड़ने के लिये स्नेह सरोकार योजना दतिया से शुरू की गयी। इसमें समाज के प्रबुद्ध वर्ग, व्यवसायी, समाज-सेवकों ने कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने का जिम्मा उठाया। इससे लगभग 70 हजार बच्चों को सुपोषण की गोद मिली। बच्चों को माँ के गर्भ में ही पोषण मिले, जिससे कुपोषण जन्म ही न ले, इसके लिये पायलट में सर्वाधिक कम वजन के बच्चों वाले जिले सतना, बड़वानी, अलीराजपुर, डिण्डोरी एवं उमरिया में 15 अगस्त से गर्भवती एवं धात्री माताओं को फुल मील देने की शुरूआत की गयी। योजना में ऐसी महिलाओं को दोपहर में ताजा पका हुआ भोजन के अतिरिक्त एक मौसम्बी, टी.एस.आर. से निर्मित 2 नग लड्डू अथवा हलवा रोज दिया जा रहा है।

श्रीमती माया सिंह ने बताया कि इसके साथ बच्चे दिलचस्पी और रुचि के साथ आँगनवाड़ी आयें, इसके लिये आदर्श आँगनवाड़ी बनाने की शुरूआत बीते वर्ष में की गयी। इसके लिये आँगनवाड़ी चलाने वाली एजेंसियों को प्रशिक्षण दिया गया और इसकी पूरी अवधारणा भी एक किताब में संकलित कर उन्हें दी गयी, ताकि वे बच्चों के अनुकूल उनकी रुचि के अनुसार आँगनवाड़ी का निर्माण कर सकें। बीते वर्ष में 2350 आँगनवाड़ी आदर्श केन्द्र के रूप में विकसित की गयी।

आँगनवाड़ी के सुदृढ़ीकरण के लिये आँगनवाड़ी चलें अभियान में 15 हजार 847 आँगनवाड़ी को शासकीय भवन में स्थानांतरित किया गया। हर बच्चा आँगनवाड़ी आये और फिर स्कूल जाये, इसके लिये दो चरण में एक से 19 नवम्बर तथा 15 से 21 जुलाई तक प्रदेश में आँगनवाड़ी चलो अभियान चलाया गया। इस दौरान 3 लाख नये बच्चों को आँगनवाड़ी की सेवाएँ देना शुरू किया गया। केन्द्रों में स्वच्छता की बच्चों में शुरू से ही आदत डालने के लिये अभिनव योजना 'टिपी टेप'' शुरू की गयी। यह योजना बच्चों के मुताबिक तैयार की गयी। इसमें पानी की केन के नीचे एक लकड़ी का पटिया लगाया जाता है और अन्य उपकरणों से उसका कनेक्शन केन से कर दिया जाता है। जब बच्चे पटिये को दबाते हैं तो केन से पानी निकलता है और बच्चे उससे हाथ धो सकते हैं। इससे बच्चों को यह एक खेल लगता है और वे हाथ धोने के लिये उसका रुचि के साथ उपयोग करते हैं। इस नवाचार की शुरूआत सीहोर जिले से की गयी। इसे इंटरनेशनल स्कॉच अवार्ड भी मिला है। बच्चों को आँगनवाड़ी में पढ़ने के प्रति रुचि पैदा करने और उन्हें प्रारंभिक तौर पर शिक्षा देने के लिये प्री-नर्सरी कोर्स शुरू किया गया। इससे बच्चे की उम्र के मुताबिक पाठ्यक्रम तैयार किये गये। एक शिशु-कार्ड भी बनाया गया, जिसमें आँगनवाड़ी आने वाले बच्चे की पूरी जानकारी दर्ज की जाती है।

मंत्री श्रीमती माया सिंह ने बताया कि नवजात बच्चों को यात्रा के दौरान भी माँ का दूध मिले, इसके लिये शहडोल से ब्रेस्ट फीडिंग कार्नर की शुरूआत बीते वर्ष में की गयी है। इसके लिये ट्रेन, रेलवे स्टेशन, बस-स्टेण्ड, बस में इस तरह के कार्नर स्थापित करने के लिये व्यवस्थाएँ की जा रही हैं। किशोरियों में माहवारी के दौरान स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रोजेक्ट उदिता की शुरूआत बीते वर्ष में की गयी। प्रथम चरण में यह प्रोजेक्ट भोपाल, ग्वालियर, इंदौर और झाबुआ में शुरू किया गया है। आँगनवाड़ी केन्द्र में 924 उदिता कार्नर स्थापित किये गये, इसके अलावा जन-सहयोग से 208 सेनेटरी नेपकिन वेंडिंग मशीन स्थापित की गयी। सरकार की इस पहल को भारत सरकार ने भी सराहा है।
मनोज पाठक
 

 

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