मध्यप्रदेश को कृषि क्षेत्र का पहला पुरस्कार मुख्यमंत्री चौहान ने पुरस्कार को बताया किसानों की मेहनत का परिणाम
इण्डिया टूडे स्टेट ऑफ स्टेट कॉनक्लेव में नई दिल्ली में आज मध्यप्रदेश को कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों और उपलब्धियों के लिये पहला पुरस्कार दिया गया। विशिष्टजन की उपस्थिति में देर शाम सम्पन्न कॉनक्लेव में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने पहला पुरस्कार प्रदान किया।
उल्लेखनीय है कि कॉनक्लेव में प्रदेश की वर्ष 2014-15 में खाद्यान्न पैदावार में 15 प्रतिशत की वृद्धि, पिछले 5 वर्ष में सिंचाई क्षेत्र में 45 प्रतिशत की वृद्धि को रेखांकित किया गया। प्रदेश में किसानों को खेती-किसानी के लिये शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करवाये जा रहे हैं। मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है, जहाँ कृषक को खेती-किसानी के ऋणों की सिर्फ 90 प्रतिशत राशि ही वापस करना होती है। शेष राशि राज्य सरकार ब्याज अनुदान के रूप में संबंधित बैंकों को अदा करती है।
खेती-किसानी को लाभदायी धंधा बनाने के लिये प्रदेश में सिंचित रकबे में वृद्धि के साथ बिजली की भरपूर उपलब्धता की दृष्टि से प्रदेश सफल रहा है। इतिहास में पहली बार किसानों को थ्री फेस पर लगभग 10 घंटे बिजली दी जा रही है। नये ट्रांसफार्मरों की उपलब्धता, खराब को बदलने की सुव्यवस्थित प्रक्रिया, अस्थायी कनेक्शन देने की प्रक्रिया को सरल बनाने के साथ ही उसके शुल्क में कमी राज्य सरकार के महत्वपूर्ण कदम प्रमाणित हुए हैं। किसानों को साल में दो बार ही बिजली बिल भरने की सहूलियत दी गयी है। स्थायी कनेक्शन पर किसान को प्रति कनेक्शन 31 हजार की सबसिडी राज्य सरकार द्वारा प्रदाय की जा रही है।
कृषि के साथ-साथ उद्यानिकी के रकबे के विस्तार में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इससे पारम्परिक कृषि पर बोझ कम हुआ है। फल-फूल, मसाला और औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा प्रदेश की इस उपलब्धि के प्रमुख कारकों में से एक है।
पुरस्कार प्राप्त करने के बाद कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश आने वाले समय में खाद्यान्न उत्पादन के क्षेत्र में पंजाब को पीछे छोड़ने की ओर अग्रसर है। उन्होंने बताया कि गेहूँ उत्पादन में प्रदेश ऐसा कर पाने में सफल रहा है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश के मेहनती एवं लगनशील किसानों की बदौलत हमने कृषि में लगातार प्रगति की है। पिछले चार वर्ष में हमने लगातार कृषि क्षेत्र में देश में सर्वाधिक विकास दर प्राप्त की है। प्रदेश को लगातार तीन वर्ष से भारत सरकार के प्रतिष्ठित कृषि कर्मण अवार्ड से पुरस्कृत किया गया है।
मध्यप्रदेश दलहन तथा तिलहन उत्पादन में देश में सबसे आगे हैं। खाद्यान्न फसलों में हमने दूसरा स्थान प्राप्त कर लिया है। प्रदेश सोयाबीन एवं चना उत्पादन में प्रथम स्थान, मसूर तथा सरसों उत्पादन में द्वितीय स्थान पर है। प्रदेश ने खाद्यान्न फसलों के उत्पादन में बहुत तेजी से प्रगति की है। प्रदेश ने विगत 10 वर्ष में मक्का उत्पादन दोगुना, गेहूँ उत्पादन तीन गुना तथा धान उत्पादन चार गुना कर लिया है।
नहरों से सिंचाई का 7.50 लाख हेक्टेयर रकबा 10 वर्ष में वढ़ाकर 36 लाख हेक्टेयर किये जाने से रबी की फसल तथा ग्रीष्मकालीन फसल के क्षेत्रफल में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी के साथ ही उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि संभव हुई है।
राज्य सरकार द्वारा किसानों को सस्ती बिजली प्राप्त हो सके, इसके लिये प्रत्येक वर्ष रुपये 5500 करोड़ अनुदान प्रदान किया जा रहा है। राज्य सरकार के प्रयासों से खरीफ 2015 से रासायनिक खाद की उपलब्धता में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रदेश में बीज उत्पादन को प्राथमिकता देने से देश में सबसे अधिक प्रमाणित बीज हमारा मध्यप्रदेश पैदा करता है। प्रदेश में वर्षा आधारित कृषि क्षेत्र विगत 10 वर्ष में एक चौथाई ही रह गया है। इन सभी प्रयासों से तथा हमारे किसान बहनों और भाइयों की मेहनत से हमने कृषि में प्रदेश को देश में सबसे ऊँचे स्थान पर स्थापित किया है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश के कृषि विकास को किसानों की मेहनत का परिणाम बताया। उन्होंने इण्डिया टूडे समूह और ज्यूरी द्वारा पुरस्कार के लिये प्रदेश के चयन पर आभार माना।
राजेश पाण्डेय
उल्लेखनीय है कि कॉनक्लेव में प्रदेश की वर्ष 2014-15 में खाद्यान्न पैदावार में 15 प्रतिशत की वृद्धि, पिछले 5 वर्ष में सिंचाई क्षेत्र में 45 प्रतिशत की वृद्धि को रेखांकित किया गया। प्रदेश में किसानों को खेती-किसानी के लिये शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करवाये जा रहे हैं। मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है, जहाँ कृषक को खेती-किसानी के ऋणों की सिर्फ 90 प्रतिशत राशि ही वापस करना होती है। शेष राशि राज्य सरकार ब्याज अनुदान के रूप में संबंधित बैंकों को अदा करती है।
खेती-किसानी को लाभदायी धंधा बनाने के लिये प्रदेश में सिंचित रकबे में वृद्धि के साथ बिजली की भरपूर उपलब्धता की दृष्टि से प्रदेश सफल रहा है। इतिहास में पहली बार किसानों को थ्री फेस पर लगभग 10 घंटे बिजली दी जा रही है। नये ट्रांसफार्मरों की उपलब्धता, खराब को बदलने की सुव्यवस्थित प्रक्रिया, अस्थायी कनेक्शन देने की प्रक्रिया को सरल बनाने के साथ ही उसके शुल्क में कमी राज्य सरकार के महत्वपूर्ण कदम प्रमाणित हुए हैं। किसानों को साल में दो बार ही बिजली बिल भरने की सहूलियत दी गयी है। स्थायी कनेक्शन पर किसान को प्रति कनेक्शन 31 हजार की सबसिडी राज्य सरकार द्वारा प्रदाय की जा रही है।
कृषि के साथ-साथ उद्यानिकी के रकबे के विस्तार में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इससे पारम्परिक कृषि पर बोझ कम हुआ है। फल-फूल, मसाला और औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा प्रदेश की इस उपलब्धि के प्रमुख कारकों में से एक है।
पुरस्कार प्राप्त करने के बाद कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश आने वाले समय में खाद्यान्न उत्पादन के क्षेत्र में पंजाब को पीछे छोड़ने की ओर अग्रसर है। उन्होंने बताया कि गेहूँ उत्पादन में प्रदेश ऐसा कर पाने में सफल रहा है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश के मेहनती एवं लगनशील किसानों की बदौलत हमने कृषि में लगातार प्रगति की है। पिछले चार वर्ष में हमने लगातार कृषि क्षेत्र में देश में सर्वाधिक विकास दर प्राप्त की है। प्रदेश को लगातार तीन वर्ष से भारत सरकार के प्रतिष्ठित कृषि कर्मण अवार्ड से पुरस्कृत किया गया है।
मध्यप्रदेश दलहन तथा तिलहन उत्पादन में देश में सबसे आगे हैं। खाद्यान्न फसलों में हमने दूसरा स्थान प्राप्त कर लिया है। प्रदेश सोयाबीन एवं चना उत्पादन में प्रथम स्थान, मसूर तथा सरसों उत्पादन में द्वितीय स्थान पर है। प्रदेश ने खाद्यान्न फसलों के उत्पादन में बहुत तेजी से प्रगति की है। प्रदेश ने विगत 10 वर्ष में मक्का उत्पादन दोगुना, गेहूँ उत्पादन तीन गुना तथा धान उत्पादन चार गुना कर लिया है।
नहरों से सिंचाई का 7.50 लाख हेक्टेयर रकबा 10 वर्ष में वढ़ाकर 36 लाख हेक्टेयर किये जाने से रबी की फसल तथा ग्रीष्मकालीन फसल के क्षेत्रफल में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी के साथ ही उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि संभव हुई है।
राज्य सरकार द्वारा किसानों को सस्ती बिजली प्राप्त हो सके, इसके लिये प्रत्येक वर्ष रुपये 5500 करोड़ अनुदान प्रदान किया जा रहा है। राज्य सरकार के प्रयासों से खरीफ 2015 से रासायनिक खाद की उपलब्धता में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रदेश में बीज उत्पादन को प्राथमिकता देने से देश में सबसे अधिक प्रमाणित बीज हमारा मध्यप्रदेश पैदा करता है। प्रदेश में वर्षा आधारित कृषि क्षेत्र विगत 10 वर्ष में एक चौथाई ही रह गया है। इन सभी प्रयासों से तथा हमारे किसान बहनों और भाइयों की मेहनत से हमने कृषि में प्रदेश को देश में सबसे ऊँचे स्थान पर स्थापित किया है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश के कृषि विकास को किसानों की मेहनत का परिणाम बताया। उन्होंने इण्डिया टूडे समूह और ज्यूरी द्वारा पुरस्कार के लिये प्रदेश के चयन पर आभार माना।
राजेश पाण्डेय