मानव-कल्याण का सिंहस्थ घोषणा-पत्र मई-2016 में होगा जारी
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह
चौहान ने इंदौर में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन में कहा कि
वैचारिक सम्मेलनों के माध्यम से निकले मंथन पर आधारित मानव-कल्याण का घोषणा-पत्र
सिंहस्थ-2016 में आगामी मई माह में इसी तरह के अन्तर्राष्ट्रीय वैचारिक महाकुंभ
में जारी किया जायेगा। दोनों वैचारिक महाकुंभों के निष्कर्ष का एक बुकलेट प्रकाशित
किया जायेगा। यह वैचारिक मंथन अमृत देश सहित पूरी दुनिया को सही दिशा दिखाने का
काम करेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि धर्म सापेक्ष होना चाहिये। धर्म के
सार की शिक्षा देने के लिये मध्यप्रदेश में व्यवस्था की जायेगी। उन्होंने घोषणा की
कि इसके लिये साँची विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड हीलिंग तथा सेंटर फॉर
ऑल्टरनेटिव लर्निंग की स्थापना की जायेगी। उन्होंने विश्वविद्यालय में अलग-अलग
देशों के स्टडी सेंटर खोलने के लिये जमीन उपलब्ध करवाने की भी घोषणा की। आर्ट ऑफ
लिविंग के संस्थापक, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर जी ने कहा कि समाज में
धर्माचरण से ही अपराधों में कमी आयेगी। समाज में धर्म का प्रचार-प्रसार, विस्तार
और पोषण जरूरी है। उन्होंने कहा कि जगत में सुख-शांति के लिये विभिन्न मत और
धर्मों के विद्वान एक साथ बैठकर विचार करें। बुद्धिमान व्यक्ति ही धार्मिक होते
हैं और धार्मिकता से ही बुद्धिमता आती है। उन्होंने कहा कि धार्मिक व्यक्ति कभी
हिंसक नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि जनता के सुख, शांति के लिये इस तरह के विचार
महाकुंभ होना चाहिये। मध्यप्रदेश शासन ने मूल्यों पर आधारित राजनीति और समाज के
पुनर्निर्माण के लिये इस सम्मेलन के जरिये एक नया अध्याय शुरू किया है। मुख्यमंत्री
श्री चौहान ने मई-2016 के सम्मेलन के लिए भी श्री श्री रविशंकर को आमंत्रित किया। तिब्बत
के प्रशासनिक प्रमुख श्री लोबसांग सांगे ने कहा कि धर्म का उद्देश्य करूणामय संसार
की रचना करना है। ईश्वर प्रेम, दया, करुणा की वर्षा करता है। मनुष्य सुख की
प्राप्ति और दुख से निवृत्ति चाहता है। हिन्दू धर्म वसुधैव कुटुम्बकम् में विश्वास
करता है। इसाई धर्म सम्पूर्ण मानव जाति को ईश्वर की संतान मानता है। बौद्ध धर्म भी
सर्वे भवन्तु सुखिनः में विश्वास करता है। सिख धर्मगुरु श्री गोविन्द सिंह ने कहा
है कि सभी व्यक्तियों में ईश्वर का अंश है। कवि कुलगुरु श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर ने
मन, वचन और कर्म की पवित्रता को धर्म माना है। महात्मा गांधी ने धर्म को फूलों से
इकट्ठा किया मधुरस माना है। धर्म से मनुष्य की आत्मा को शांति प्राप्त होती है। जब
किसी धर्म को किसी अन्य धर्म के व्यक्ति पर थोपा जाता है, तब तनाव और संघर्ष पैदा
होता है। धर्म हमें साहस, ज्ञान, विवेक, शुद्धता, दयालुता और कर्त्तव्य की शिक्षा
देता है। प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव ने आभार माना। प्रोफेसर
गजनेश्वर शास्त्री ने सम्मेलन का सारांश प्रस्तुत किया। मध्यप्रदेश शासन के
संस्कृति विभाग, साँची बौद्ध विश्वविद्यालय तथा सेंट्रल फॉर स्टडी ऑफ रिलीजन एण्ड
सोसायटी द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में हजारों लोगों की मौजूदगी रही। सम्मेलन के
लिए प्राप्त करीब 300 शोध पत्र में से 150 शोध पत्रों को अलग-अलग सत्रों में
प्रस्तुत किया गया। करीब 25 शोध पत्र विदेशी विद्वानों द्वारा प्रस्तुत किए गए।
सम्मेलन में अमेरिका, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया, स्पेन, ब्रिटेन, सिंगापुर,
थाइलेंड, म्यामार, कंबोडिया, त्रिनिदाद एंड टोबेगो, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश
एवं इजराइल का प्रतिनिधित्व हुआ। श्रीलंका इजराइल और भूटान के राष्ट्र
प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में शिरकत की। सम्मेलन में सभी श्रेणी में 1221
रजिस्ट्रेशन हुए। सम्मेलन में करीब 550 ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किए गए। राज्य के सभी
जिलों से करीब 120 धर्म विद्वान और धर्मगुरु मौजूद रहे। मुख्य आकर्षण 'सिंहस्थ''
प्रदर्शनी रही। सम्मेलन के दौरान लोक कलाकारों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक
कार्यक्रमों की प्रस्तुतियाँ दी गई।