प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में मध्यप्रदेश के बीस जिले होंगे शामिल
सिंचाई की सात वर्षीय योजना होगी तैयार
किसानों की शत-प्रतिशत खेती की जमीन को सिंचित करने के लिये केन्द्र सरकार द्वारा बनायी गयी प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में मध्यप्रदेश के बीस जिले का चयन किया जायेगा। इन जिलों के लिये सात वर्षीय योजना 31 दिसम्बर तक बनायी जायेगी।
किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन ने बताया कि भारत सरकार के मार्गदर्शी बिन्दुओं के आधार पर बीस जिले की चयन प्रक्रिया जल्द ही पूरी कर ली जायेगी। उन्होंने बताया कि योजना के क्रियान्वयन और चयन प्रक्रिया के लिये 16 आईएएस और 6 आईएएफएस अधिकारी को दिल्ली में प्रशिक्षण भी दिलवाया गया है।
उद्देश्य
योजना में असिंचित क्षेत्र को सिंचित क्षेत्र में बदला जायेगा। सिंचाई क्षमता में बढ़ोत्तरी और उपलब्ध सिंचाई संसाधनों से अधिकतम क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवायी जायेगी। जल की बर्बादी पर रोक लगाने के साथ ही रिचार्जिंग और जल के न्यायिक उपयोग के लिये कृषकों को प्रशिक्षित किया जायेगा।
योजना के कार्य
योजना में एक्सलरेटेड इरीगेशन बेनिफिट कार्यक्रम में ऑनगोइंग मध्यम एवं वृहद सिंचाई परियोजना को जल्द पूरा किया जायेगा। हर खेत को पानी कार्यक्रम में लघुत्तम सिंचाई तालाब, फार्मपौंड, स्टॉप डेम का निर्माण और जीर्णोद्धार, सामुदायिक नलकूप, अनुदान पर नलकूप एवं कुआँ खनन, पुराने लघुत्तम सिंचाई तालाब और सिंचित क्षेत्र में जल वितरण प्रणाली का सुदृढ़ीकरण किया जायेगा। 'प्रति बूंद-ज्यादा फसल'' कार्यक्रम में किसानों को अनुदान पर स्प्रिंकलर, ड्रिप, रेनगन, डीजल पंप, विद्युत पंप, सोलर पंप, पाइप लाइन आदि का वितरण किया जायेगा। कृषि विस्तार गतिविधियों में किसानों और कृषि अमले को प्रशिक्षित किया जायेगा। उन्हें जागरूक बनाने के लिये बेहतर सिंचाई व्यवस्था वाले क्षेत्रों का भ्रमण करवाया जायेगा। वर्कशॉप, कान्फ्रेंस, सेमीनार आदि भी किये जायेंगे। जल ग्रहण क्षेत्र विकसित कार्यक्रम में चेक डेम, जल-संग्रहण तालाब, डगआउट पौंड का निर्माण एवं अन्य ड्रेनेज लाइन उपचार के काम होंगे।
बीस जिलों का चयन
योजना में मध्यप्रदेश से बीस जिलों का चयन किया जाना है। इसके लिये जो मार्गदर्शी सिद्धांत भारत सरकार ने तय किये हैं उसमें ऐसे जिले चयनित किये जाने हैं, जहाँ खेती अधिकतम वर्षा आधारित हो, अनुसूचित-जाति एवं जनजाति कृषकों की संख्या ज्यादा हो, प्रमुख फसलों का कम से कम उत्पादन हो और लघु-सीमांत किसानों की संख्या अधिक हो।
योजना का क्रियान्वयन
योजना के क्रियान्वयन के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य-स्तरीय, कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में अंतर्विभागीय समूह, जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में समितियों का गठन किया जायेगा। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति सिंचाई योजना, प्राथमिकता क्रम, विभाग, संस्था का चयन तथा योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा एवं मॉनीटरिंग करेगी। कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति सहयोगी विभागों के मध्य तालमेल स्थापित करने के साथ ही एसएलसी में प्रस्तुत प्रोजेक्ट का कूट परीक्षण करेगी। अभिसरण और दोहराव रोकने का कार्य भी समिति करेगी। जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति जिले की सिंचाई योजना को संबंधित विभाग के सहयोग से तैयार करेगी। सालाना सिंचाई कार्यक्रम तैयार करेगी और योजना क्रियान्वयन में आने वाली कठिनाइयों का समाधान करेगी।
मनोज पाठक
किसानों की शत-प्रतिशत खेती की जमीन को सिंचित करने के लिये केन्द्र सरकार द्वारा बनायी गयी प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में मध्यप्रदेश के बीस जिले का चयन किया जायेगा। इन जिलों के लिये सात वर्षीय योजना 31 दिसम्बर तक बनायी जायेगी।
किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन ने बताया कि भारत सरकार के मार्गदर्शी बिन्दुओं के आधार पर बीस जिले की चयन प्रक्रिया जल्द ही पूरी कर ली जायेगी। उन्होंने बताया कि योजना के क्रियान्वयन और चयन प्रक्रिया के लिये 16 आईएएस और 6 आईएएफएस अधिकारी को दिल्ली में प्रशिक्षण भी दिलवाया गया है।
उद्देश्य
योजना में असिंचित क्षेत्र को सिंचित क्षेत्र में बदला जायेगा। सिंचाई क्षमता में बढ़ोत्तरी और उपलब्ध सिंचाई संसाधनों से अधिकतम क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवायी जायेगी। जल की बर्बादी पर रोक लगाने के साथ ही रिचार्जिंग और जल के न्यायिक उपयोग के लिये कृषकों को प्रशिक्षित किया जायेगा।
योजना के कार्य
योजना में एक्सलरेटेड इरीगेशन बेनिफिट कार्यक्रम में ऑनगोइंग मध्यम एवं वृहद सिंचाई परियोजना को जल्द पूरा किया जायेगा। हर खेत को पानी कार्यक्रम में लघुत्तम सिंचाई तालाब, फार्मपौंड, स्टॉप डेम का निर्माण और जीर्णोद्धार, सामुदायिक नलकूप, अनुदान पर नलकूप एवं कुआँ खनन, पुराने लघुत्तम सिंचाई तालाब और सिंचित क्षेत्र में जल वितरण प्रणाली का सुदृढ़ीकरण किया जायेगा। 'प्रति बूंद-ज्यादा फसल'' कार्यक्रम में किसानों को अनुदान पर स्प्रिंकलर, ड्रिप, रेनगन, डीजल पंप, विद्युत पंप, सोलर पंप, पाइप लाइन आदि का वितरण किया जायेगा। कृषि विस्तार गतिविधियों में किसानों और कृषि अमले को प्रशिक्षित किया जायेगा। उन्हें जागरूक बनाने के लिये बेहतर सिंचाई व्यवस्था वाले क्षेत्रों का भ्रमण करवाया जायेगा। वर्कशॉप, कान्फ्रेंस, सेमीनार आदि भी किये जायेंगे। जल ग्रहण क्षेत्र विकसित कार्यक्रम में चेक डेम, जल-संग्रहण तालाब, डगआउट पौंड का निर्माण एवं अन्य ड्रेनेज लाइन उपचार के काम होंगे।
बीस जिलों का चयन
योजना में मध्यप्रदेश से बीस जिलों का चयन किया जाना है। इसके लिये जो मार्गदर्शी सिद्धांत भारत सरकार ने तय किये हैं उसमें ऐसे जिले चयनित किये जाने हैं, जहाँ खेती अधिकतम वर्षा आधारित हो, अनुसूचित-जाति एवं जनजाति कृषकों की संख्या ज्यादा हो, प्रमुख फसलों का कम से कम उत्पादन हो और लघु-सीमांत किसानों की संख्या अधिक हो।
योजना का क्रियान्वयन
योजना के क्रियान्वयन के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य-स्तरीय, कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में अंतर्विभागीय समूह, जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में समितियों का गठन किया जायेगा। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति सिंचाई योजना, प्राथमिकता क्रम, विभाग, संस्था का चयन तथा योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा एवं मॉनीटरिंग करेगी। कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति सहयोगी विभागों के मध्य तालमेल स्थापित करने के साथ ही एसएलसी में प्रस्तुत प्रोजेक्ट का कूट परीक्षण करेगी। अभिसरण और दोहराव रोकने का कार्य भी समिति करेगी। जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति जिले की सिंचाई योजना को संबंधित विभाग के सहयोग से तैयार करेगी। सालाना सिंचाई कार्यक्रम तैयार करेगी और योजना क्रियान्वयन में आने वाली कठिनाइयों का समाधान करेगी।
मनोज पाठक