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अब फसल खराब होने पर उत्पादकता के आधार पर मिलेगी राहत


भोपाल। अब प्रदेश में किसानों की फसल खराब होने पर राहत फसल की उत्पादकता के आधार पर दी जाएगी। इसे केवल वर्षा की कमी से सम्बद्ध नहीं किया जाएगा। यह निर्णय आज यहाँ मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में सम्पन्न कृषि केबिनेट की बैठक में लिया गया। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि प्राकृतिक आपदा की स्थिति में अल्पावधि फसल ऋण को मध्यावधि ऋण में परिवर्तन किए जाने पर नाबार्ड से पुनर्वित्त प्राप्त करने के लिए अपेक्स बैंक को दी जाने वाली गारंटी में नाबार्ड के प्रस्ताव अनुसार एक बार संशोधन किया जाए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में सूखे के संकट से जूझ रहे किसानों को राहत पहुँचाने के सारे उपाय किए जा रहे हैं। किसानों को हुए नुकसान की वास्तविक स्थिति के आकलन के लिए आगामी 25 से 27 अक्टूबर तक प्रदेश के सभी मंत्री भी अपने प्रभार के जिलों के गाँव में जायेंगे और किसानों से चौपाल पर बैठकर चर्चा करेंगे। वे किसानों से उनकी फसलों को हुए नुकसान, उत्पादन, कठिनाइयों और अगली रबी की फसल के बारे में बात करेंगे। वे खेती के साथ वैकल्पिक आमदनी के उपायों पर भी चर्चा करेंगे। मुख्यमंत्री स्वयं भी इस दौरान गाँवों में जायेंगे। भोपाल में आगामी 31 अक्टूबर को एग्रीकल्चर टास्क फोर्स की बैठक में भविष्य की खेती के बारे में विचार-विमर्श किया जाएगा। किसानों के कल्याण के सभी दीर्घकालिक उपाय किए जाएँगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी विभागों के समन्वय से आगामी रबी की फसल में बेहतर उत्पादन करने के उपाय किए जायेंगे। विभागों के बजट से 15 प्रतिशत कटौती कर किसानों को राहत उपलब्ध करवाई जाएगी। प्रदेश स्तर से भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलि‍स सेवा और भारतीय वन सेवा के अधिकारी भी 25 से 27 अक्टूबर तक गाँव में जाकर फसलों के नुकसान के बारे में किसानों से सम्पर्क करेंगे। उन्होंने निर्देश दिए कि फसल कटाई के प्रयोग शीघ्र पूरे किये जाये। केन्द्र को फसल नुकसान के संबंध में भेजे जाने वाला मेमोरेण्डम आगामी 24 अक्टूबर तक तैयार किया जाये। रबी की फसल के संबंध में किसानों को अभी से जागरूक करें ताकि वे पानी की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए फसल बोए। कृषि विभाग का पूरा अमला इस समय फील्ड में काम करें। रबी के लिए खाद-बीज की व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाये। सूखा प्रभावित क्षेत्रों में मनरेगा में आवश्यकतानुसार राहत कार्य शुरू किये जायें। साथ ही मनरेगा में मजदूरी का भुगतान समय पर सुनिश्चित किया जाए। इसके बारे में अग्रिम योजना बनाई जाए। बैठक में निर्णय लिया गया कि प्राकृतिक आपदा की स्थिति में अल्पावधि फसल ऋण को मध्यावधि ऋण में परिवर्तन किए जाने पर नाबार्ड से पुनर्वित्त प्राप्त करने के लिए राज्‍य शासन द्वारा नाबार्ड के पक्ष में अपेक्स बैंक को दी जाने वाली गारंटी के लिए मध्यप्रदेश सरकार प्रत्याभूति नियम 2009 के गारंटी डीड प्रारूप में नाबार्ड के प्रस्ताव अनुसार एक बार संशोधन किया जाए। बैठक में बताया गया कि अल्प वर्षा और फसलों के नुकसान से प्रदेश में सोयाबीन, उड़द, मूंग, अरहर और धान का उत्पादन भी कम होगा। सोयाबीन की फसल को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। प्रदेश में करीब 13 हजार 800 करोड़ रूपए की फसलों का नुकसान हुआ है। अभी गत वर्ष की खरीफ-2014 के नुकसान की फसल बीमा की राशि 515 करोड़ रूपए वितरित की जा रही है। इसी तरह रबी 2014 में लगभग 500 करोड़ रूपए का दावा संभावित है जो आगामी नवम्बर माह में वितरित किया जाएगा। इसी तरह इस वर्ष खरीफ की फसल में नुकसान के लिए करीब 3000 करोड़ रूपए के दावे संभावित है। आगामी रबी में प्रदेश में खाद-बीज और अन्य कृषि आदानों का पर्याप्त भण्डारण उपलब्ध है। बैठक में वित्त मंत्री जयंत मलैया, वन मंत्री गौरीशंकर बिसेन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव, कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन, राजस्व मंत्री रामपाल सिंह, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री कुसुम महदेले, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया, अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण मंत्री ज्ञान सिंह, नर्मदा घाटी विकास एवं सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री लालसिंह आर्य और मुख्य सचिव अन्‍टोनी डिसा सहित संबंधित विभागों के अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव उपस्थित थे।

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