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मन रंजन है मन को रंगना -मदन वैष्णव


 होली

मन रंजन है मन को रंगना
तन-मन रंगना होली
जिसने डाला रंग कि समझो
मन की गांठें खोली

नयन नेह का नीर भरो , अर,
कलुष हृदय का फेंको
तुम भी खोलो मन की गांठें
रंग लगा कर देखो

क्षण-भर का ही अंतराल
रह जाता बन-अनबन में 
लगा रंग तो मिटी दूरियां
फूल झरेंगे मन में।

होली की शुभकामनाएं!.
             * मदन वैष्णव

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