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श्री महाकालेश्वर मंदिर में संध्या आरती पश्चात होलिका का दहन हुआ संपन्‍न


श्री महाकालेश्वर मंदिर में संध्या आरती पश्चात होलिका का दहन हुआ संपन्‍न

सर्वप्रथम श्री महाकालेश्वर भगवान के संध्या आरती में हर्बल गुलाल अर्पित किया गया

 उज्जैन 13 मार्च 2025। श्री महाकालेश्‍वर मंदिर में होली का पर्व बडे ही हर्षोल्‍लास के साथ मनाया जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि, होलिका अज्ञान व अहंकार को निरूपित करती है, इसलिए अपने जीवन को प्रगति की ओर ले जाना कर्मयज्ञ है, जैसे अग्नि समापन का प्रतीक है वैसे ही अगले दिन होने वाला रंगोत्‍सव सृजन का प्रतीक है | पौराणिक कथाओ के अनुसार, भक्त प्रह्लाद की भक्ति के कारण होलिका का अंत हुवा, जो यह दर्शाता है कि, सत्य और धर्म के पथ पर चलने वालो की हमेशा विजय होती है |

श्री महाकालेश्वर मंदिर में 13 मार्च 2025 को संध्या आरती के पूर्व नैवेद्य कक्ष में श्री चन्द्रमोलेश्वर भगवान, कोटितीर्थ कुण्ड पर श्री कोटेश्वर- श्री रामेश्वर व सभा मण्डप में श्री वीरभद्र को गुलाल अर्पण करने के पश्यात संध्या आरती में भगवान श्री महाकालेश्‍वर को परम्परानुसार शक्कर की माला धारण करवाने के पश्यात गुलाल अर्पित किया गया  |

भगवान श्री महाकालेश्‍वर भगवान जी की संध्या आरती के बाद श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में ओंकारेश्वर मंदिर के सामने श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी श्री घनश्याम शर्मा द्वारा विश्व मे सबसे पहले प्रज्जवलित होने वाली कण्ड़ों व लकडी से निर्मित होलिका का विधिवत पूजन- आरती के होलिका दहन किया गया।

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