अनुप्रिया देवताले की वायलिन प्रस्तुति, श्रोताओं ने तालियों से किया स्वागत
अनुप्रिया देवताले की वायलिन प्रस्तुति, श्रोताओं ने तालियों से किया स्वागत
उज्जैन, 3 मार्च 2025। महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा विक्रमादित्य, उनके युग, भारत उत्कर्ष, नवजागरण और भारत विद्या पर एकाग्र विक्रमोत्सव 2025 अंतर्गत पं. सूर्यनारायण व्यास संकुल, कालिदास अकादमी में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विदुषी अनुप्रिया देवताले ने वायलिन के साथ अपनी प्रस्तुति दी। श्रोताओं ने उनका तालियों से स्वागत किया। उन्होंने अपने वादन की शुरुआत राग भीमपलासी से की। राग भीमपलासी एक मधुर, शांति देने वाला और भावपूर्ण राग है।अनुप्रिया देवताले हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में अपनी उत्कृष्टता के लिए जानी जाती हैं। उनका वादन सौम्यता, तकनीकी निपुणता और गहरी अभिव्यक्ति से भरपूर था। उन्होंने राग भीमपलासी की सूक्ष्मताओं को वायलिन पर बड़ी सुंदरता से ध्वनित किया। गायकी अंग की शैली में उनका वायलिन वादन नवाचार और परंपरा का सुंदर संतुलन था।
उन्होंने परंपरागत रागदारी संगीत को आधुनिक शैलियों के साथ संतुलित रूप में प्रस्तुत किया। उनके वादन में केवल तकनीकी दक्षता ही नहीं, बल्कि राग की गहरी संवेदनशीलता को अपने में समाहित किए हुए था। उनके साथ तबले पर संगत दे रहे थे गांधार और तानपुरे पर रश्मि थी। इसके पूर्व पुराविद डॉ. आर.सी. ठाकुर, डॉ. रमण सोलंकी, प्रो. प्रशांत पुराणिक, कवि दिनेश दिग्गज ने अनुप्रिया देवताले का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।
अनुप्रिया देवताले देश की उच्च श्रेणी की हिंदुस्तानी शास्त्रीय वायलिन वादिका हैं। उनकी अपनी एक अनूठी शैली है, जिसमें वे गायन और वाद्य लयबद्ध पैटर्न के तत्वों को मिश्रित करती हैं। इंदौर में जन्मी अनुप्रिया देवताले ने संगीत की शिक्षा प्रख्यात सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान और प्रसिद्ध सारंगी वादक पंडित रामनारायण जी से ग्रहण की है।
भावनात्मकता और माधुर्यमय मौलिक शैली की धनी अनुप्रिया देवताले दुनियाभर के 40 देशों में प्रस्तुति दे चुकी हैं।